नई दिल्ली – भारत और आसियान बृहस्पतिवार को एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी की दिशा में काम करने पर सहमत हुए, जो उनके रणनीतिक संबंधों को और मजबूत कर सार्थक, वास्तविक तथा पारस्परिक रूप से लाभकारी हों।
यह बात विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके सिंगापुरी समकक्ष विवियन बालकृष्णन ने नयी दिल्ली द्वारा आयोजित भारत-आसियान विदेश मंत्री स्तरीय बैठक में एक बयान में कही।
आसियान सदस्य देशों के साथ संबंधों की 30वीं वर्षगांठ के अवसर पर भारत बैठक की मेजबानी कर रहा है। जयशंकर और बालकृष्णन बृहस्पतिवार से शुरू हुई दो दिवसीय बैठक के सह-अध्यक्ष हैं। यह समझा जाता है कि बैठक के दौरान संसाधन-समृद्ध क्षेत्र दक्षिण चीन सागर की स्थिति पर चर्चा की गई, जहां चीन की आक्रामकता बढ़ गई है।
अपने बयान में सह-अध्यक्षों ने कहा कि बैठक के दौरान संयुक्त राष्ट्र चार्टर, समुद्री कानून पर 1982 के संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (यूएनसीएलओएस) और अन्य प्रासंगिक संयुक्त राष्ट्र संधियों सहित अंतरराष्ट्रीय कानूनों के सिद्धांतों पर स्थापित बहुपक्षवाद के प्रति प्रतिबद्धता जतायी गई।
दोनों विदेश मंत्री एक खुले और समावेशी क्षेत्रीय सहयोग ढांचे को बनाए रखने की दिशा में काम करने के लिए सहमत हुए। दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्रों का संघ (आसियान) को इस क्षेत्र के सबसे प्रभावशाली समूहों में से एक माना जाता है
और भारत, अमेरिका, चीन, जापान और ऑस्ट्रेलिया सहित कई अन्य देश इसके संवाद भागीदार हैं। बयान में कहा गया कि बैठक में आसियान के मौजूदा
नेतृत्व वाले तंत्र का उपयोग करके व्यापक तौर पर राजनीतिक, सुरक्षा, आर्थिक, सामाजिक-सांस्कृतिक और विकास सहयोग में आसियान-भारत रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत व गहरा करने पर सहमति जताई गई।