बिहार में मौसम की मार, मजदूर ‘परदेश’ की तैयारी में

सावन के महीने में जब बिहार की खेतों में हरियाली दिखाई देती थी, लेकिन इस बार कई इलाकों में इस सावन के महीने में खेत सूख रहे हैं। इधर, खेतों में जब काम ही नहीं शुरू हुआ तो खेत में काम करने वाले मजदूर भी आशंकित होकर रोजगार की तलाश में भटकने लगे हैं।

बिहार में बड़ी संख्या खेतिहर मजदूरों की है, जो खेतों में काम करते हैं। ऐसे मजदूर अब अन्य औद्योगिक शहरों की ओर जाने की योजना बना रहे हैं। बताया जाता है कि कुछ मजदूर अब जाने भी लगे हैं। बताया जाता है कि मुजफ्फरपुर स्टेशन से औद्योगिक नगर जाने वाले ट्रेनों में ऐसे मजदूरों को अब देखा जा रहा है।

सरैया के रहने वाले खेतिहर मजदूर राम प्यारे कहते हैं कि पिछले साल सावन महीने में झमाझम बारिश हो चुकी थी, लेकिन इस साल अब तक झमाझम बारिश का इंतजार है। उन्होंने बताया कि अगर ऐसी स्थिति रही तो मुश्किल हो जाएगी।

बिहार में मानसून के प्रवेश के एक महीना से ज्यादा समय बीत गया है, लेकिन अभी तक सामान्य से एक तिहाई बारिश भी नहीं हो पाई है।

औसत की बात करें तो एक जुलाई से अभी तक 172 मिलीमीटर तक वर्षा हो जानी चाहिए थी। किंतु सिर्फ 22 मिलीमीटर ही हो पाई है। यह औसत वर्षा से 87 प्रतिशत कम है।

बिहार में सरकार ने इस वर्ष 35.12 लाख हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य तय किया है। वर्षा की सामान्य स्थिति होती तो अबतक कम से कम 40 प्रतिशत क्षेत्र में रोपनी हो जानी चाहिए थी, लेकिन छह लाख 70 हजार हेक्टेयर में ही रोपनी हो पाई है। यह 19 प्रतिशत है, जबकि पिछले वर्ष 16 जुलाई तक 13.63 लाख हेक्टेयर और वर्ष 2020 में 17.58 लाख हेक्टेयर में रोपनी कर ली गई थी।

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