बिहार में कोरोना से व्यवसाय का ‘शटरडाउन’ !  

पटना- पटना के मॉल हों या बाजार, रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म हों या सिनेमा हॉल, कुछ दिन पहले तक लोगों की आवाजाही से ये स्थान गुलजार रहते थे लेकिन आज या तो ये बंद हैं या फिर यहां लोगों की भीड़ काफी कम हो गई है। आलम यह है कि कोरोनावायरस के भय से हर जगह कारोबार में गिरावट आई है।

बिहार में महामारी एक्ट लागू होने के बाद शिक्षण संस्थानों, मल्टीप्लेक्स, जिम आदि बंद करा दिए गए हैं। बिग बाजार खुला जरूर है लेकिन यहां सिर्फ राशन का सामान ही मिल रहा है। सेंट्रल मॉल में लोग पहुंच रहे हैं लेकिन बंद देखकर वापस लौट रहे हैं।

राजधानी के साड़ी बाजार में भी ग्राहक नहीं पहुंच पा रहे हैं। राजा बाजार के साड़ी विक्रेता रमन कुमार कहते हैं, “जैसी स्थिति बनी हैं, उससे बड़े व्यापारी तो इस झटके से संभल भी जाएं, लेकिन हम जैसे छोटे व्यापारियों के लिए अब दुकान का किराया देना भी मुश्किल होगा। कुछ दिनों तक अगर यही स्थिति रही तो इससे उबरना मुश्किल हो जाएगा।”

बोरिंग रोड चौराहा स्थित एलिगेंस स्टोर के मालिक रत्नेश कुमार कहते हैं, “अगले महीने शादी के मौसम की शुरूआत हो जाएगी। मैंने इस दुकान में पूरा स्टॉक मंगा रखा है। अब ग्राहक ही नहीं आ रहे हैं। यदि बिक्री नहीं हुई तो नुकसान तय है।”

पी एंड एम मॉल्स के पास के फुटपाथी दुकानदार राजेश कुमार जो एक ठेले पर चाय बेचते हैं, ने कहा, “इस मॉल में प्रतिदिन कम से कम 4000 लोग आते थे। अब उनकी आवाजाही बंद हो गई। उनके यहां आने से चहल-पहल होती थी और मेरी चाय भी बिकती थी। अब तो 15-20 कप चाय बेचना भी मुश्किल है।”

मॉल और शापिंग कांप्लेक्स, पाकरें के बंद होने के बाद ऑटो चालकों को भी ऑटो की ईएमआई चुकाने का भय सताने लगा है। बोरिंग रोड में एक ऑटो चालक संतोष कहते हैं, “सभी कुछ तो बंद हैं, लोग घरों से कम ही निकल रहे हैं। अधिकांश लोग अपने वाहनों से निकल रहे हैं। ऐसे में उन्हें यात्री ही नहीं मिल रहे।” संतोष ने दो महीने पहले ही सीएनजी से चलने वाला ऑटो खरीदा था, अब सबसे बड़ी चिंता है कि वो इसकी इएमआई कैसे देंगे।

इधर, जो मॉल जरूरी सामानों के लिए खुले है, वहां सैनेटाइजर की व्यवस्था है।
उल्लेखनीय है कि मॉल में जरूरी सामानों को बेचने की छूट दी गई है। जरूरी सामाग्री के काउंटर को छोड़कर बाकी मॉल को बंद करने का निर्देश दिया गया है।

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