बिहार ने केंद्र से ऋण सीमा बढ़ाने की मांग की

पटना, -बिहार सरकार ने केंद्र सरकार से एफआरबीएम एक्ट के तहत सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के 3 प्रतिशत तक ऋण लेने की सीमा को बढ़ाकर 4 प्रतिशत करने की मांग की है।

उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बताया कि पिछले वर्ष की आर्थिक सुस्ती व कोरोना वायरस के संक्रमण के इस दौर में नगण्य राजस्व संग्रह के कारण केंद्र और बिहार सहित अन्य राज्य सरकारें भीषण वित्तीय संकट के दौर से गुजर रही हैं।

इस स्थिति में बिहार के मुख्यमंत्री सहित अन्य राज्यों ने केंद्र सरकार से एफआरबीएम एक्ट के तहत सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के 3 प्रतिशत तक ऋण लेने की सीमा को बढ़ाकर 4 प्रतिशत करने की मांग की है।

उन्होंने बताया कि इसके साथ ही पहली बार सरकार ने आरबीआई से राज्य के सिंकिंग फंड की राशि से पुराने ऋण के किस्त 7,035 करोड़ के भुगतान की भी मांग की है।

मोदी ने कहा कि आर्थिक सुस्ती के कारण पिछले वर्ष 2019-20 में केंद्रीय करों के कम संग्रह होने के कारण बिहार को केंद्रीय करों की हिस्सेदारी में प्रस्तावित राशि से 25 हजार करोड़ रुपये कम प्राप्त हुए, जबकि वर्ष 2018-19 में 10 हजार करोड़ रुपये कम रहे।

वित्तमंत्री ने कहा कि वर्ष 2009 में राज्य सरकार ने सिंकिंग फंड का गठन किया था, जिसमें प्रतिवर्ष लोकऋण व अन्य बकाया दायित्व के 0़5 प्रतिशत की राशि निवेश की जाती है।

इस कोष में अभी 7,683़ 02 करोड़ रुपये जमा है, जिसमें मूलधन 5740़12 करोड़ व उसकी ब्याज राशि 1,942़ 90 करोड़ रुपये है। आरबीआई से उसी फंड से पुराने ऋण के मूलधन के इस साल की किस्त की वापसी की मांग की गई है।

मोदी ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में केंद्र सरकार ने बिहार को जीएसडीपी के 3 प्रतिशत के तहत 26,419 करोड़ रुपये ऋण उगाही की अनुमति दी है, जिससे 21,188़ 42 करोड़ रुपये का कर्ज बाजार से लिया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि अगर जीएसडीपी के 4 प्रतिशत तक ऋण लेने की अनुमति मिलती है तो बिहार अतिरिक्त 6,461 करोड़ रुपये का कर्ज ले सकता है।

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