बंटवारे के समय आबादी की अदला-बदली चाहते थे आंबेडकर : सोनकर


भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. विजय सोनकर शास्त्री ने कहा है कि संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर ने इस्लाम को गैर राष्ट्रीयता की ²ष्टि से देखा था, और इसीलिए देश के बंटवारे के समय वह चाहते थे कि आबादी की पूर्ण रूप से अदला-बदली हो।

सोनकर ने चुनौती देते हुए कहा कि किसी विद्वान या चिंतक में हिम्मत है तो वह डॉ. आंबेडकर के इस विचार को गलत साबित करके दिखाए।

भाजपा प्रवक्ता सोनकर ने बुधवार को आईएएनएस से कहा, “यदि मुस्लिम समाज के कुछ तथाकथित नेता हर उचित निर्णय के ठीक उलट बातें करने की ओछी मानसिकता से बाज नहीं आते हैं, तो डॉ. आंबेडकर का चिंतन शतप्रतिशत स्वत: प्रमाणित हो जाएगा। ओवैसी जैसे लोग खुल कर हिन्दू विरोध की भाषा बोलते हैं, किन्तु और भी ऐसे नेता हैं जो अंदर ही अंदर ओवैसी का विचार रखते हैं और उनकी जैसी भाषा का इस्तेमाल करते हैं।”

सोनकर ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून का विरोध जिस तरह से कुछ दलित नेता कर रहे हैं, वह उनकी नासमझी के आलावा कुछ नहीं है। उन्होंने कहा, “सीएए का मुस्लिम वर्ग के कथित नेता विरोध करें तो समझा जा सकता है, मगर चंद्रशेखर रावण, मायावती, उदितराज जैसे दलित नेताओं के विरोध के कारण को दलित समाज भी नहीं समझ पाया है। इस कानून से दलित क्या भारत के किसी भी नागरिक का कुछ लेना-देना नहीं है, किन्तु असली दलित नेताओं को पाकिस्तान और बांग्लादेश में नारकीय जीवन जी रहे दलित समाज के लोगों की बेहतरी के लिए तो खुशी जाहिर करनी चाहिए।”

उन्होंने कहा, “कांग्रेस, बसपा, सपा, वामपंथी एवं अन्य कुछ क्षेत्रीय राजनीतिक दल अपने मुस्लिम वोट बैंक के लालच में इतना गिर सकते हैं, यह विपक्षी राजनीतिक दलों के पतन का एक जीता-जागता स्वरूप है। राजनीतिक स्वार्थ के कारण सोशल मीडिया में विदेशी सॉफ्टवेयर कंपनियों के माध्यम से जनता को भ्रमित करने का खेल बहुत खतरनाक है। कांग्रेस पार्टी ने पिछले वर्षों में कैम्ब्रिज एनालिटिका जैसी विदेशी सॉफ्टवेयर कंपनी को ठेका दिया था। विपक्षी दलों एवं उनकी इन कायराना हरकतों से भारत विरोधी देशी-विदेशी शक्तियां भी जुड़ रही हैं।”

विजय सोनकर शास्त्री ने मोदी सरकार को दलित हितैषी बताते हुए कहा कि इस वर्ग के कल्याण के लिए आज जितनी योजनाएं चल रहीं हैं, उतनी किसी सरकार में नहीं चलीं। उन्होंने कहा, “दलित वर्ग के कल्याण के लिए बीमा, स्वास्थ्य, आवास, शौचालय, गैस कनेक्शन, अत्याचार और उत्पीड़न से सुरक्षा के कड़े कानून जैसी तमाम योजनाएं चल रही हैं। रोजगार की दिशा में सभी राष्ट्रीयकृत बैंकों को एक-एक दलित उद्यमी को तैयार करने का निर्देश है।”

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार एक तरफ योजनाओं के जरिए दलितों का भला कर रही है, वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक अत्याचार का शिकार होने पर जान बचाकर भागे लाखों दलितों के लिए नागरिकता का दरवाजा भी खोल दिया है। इस प्रकार मोदी सरकार ने सात दशकों से नारकीय जीवन जी रहे दलितों को भी गले लगाने का काम किया है।

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