प्रधान न्यायाधीश गोगोई को यौन उत्पीड़न मामले में क्लीन चिट

नई दिल्ली। यौन उत्पीड़न मामले में प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को क्लिन-चिट मिल गई है। जस्टिस एस.ए. बोबडे की अगुवाई वाली तीन सदस्यों वाली पीठ ने सीजेआई के खिलाफ लगे यौन उत्पीड़न के आरोप को खारिज कर दिया। मामले की जांच करने वाली आंतरिक समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट की बर्खास्त कर्मचारी के आरोपों में उसे किसी तरह की वास्तविकता नहीं मिली है।

सुप्रीम कोर्ट के महासचिव ने एक बयान में कहा है कि रिपोर्ट वरिष्ठ न्यायाधीश के साथ-साथ भारत के मुख्य न्यायाधीश को सौंपी गई है। बयान में कहा गया है कि इन-हाउस कमेटी को सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी द्वारा लगाए गए आरोपों में कोई दम नजर नहीं आया। बयान में यह भी कहा गया है कि पैनल द्वारा दायर रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा।

इससे पहले आरोप लगाने वाली महिला ने जांच समिति के सामने पेश होने से मना कर दिया था। उसने कहा था कि गंभीर चिंता और आपत्तियों की वजह से मैं आंतरिक समिति की इन कार्यवाहियों में अब भाग नहीं ले रही हूं। वो जस्टिस एस ए बोवडे के नेतृत्व वाली तीन सदस्यीय समिति के सामने दो बार पेश हुईं थी। इस समिति में दो महिला न्यायाधीशों- जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस इंदिरा बनर्जी-को शामिल किया गया था।

उससे पहले अपने ऊपर लगे आरोपों पर चीफ जस्टिस ने कहा था कि अगर ऐसे निराधार आरोप लगेंगे तो कोई बुद्धिमान व्यक्ति जज बनने के लिए आगे नहीं आएगा। चीफ जस्टिस ने कहा था कि करीब दो दशक तक जस्टिस रहने के बाद उनके पास बैंक में 6.80 लाख रुपए हैं। बैंक में मेरा 6.80 लाख रुपए का बैलेंस है। मेरे बैंक खाते में 21.80 लाख रुपए हैं जिनमें से 15 लाख रुपए मेरी बेटी ने गुवाहाटी में मेरे घर की मरम्मत के लिए दिए हैं। भविष्य निधि में मेरे करीब 40 लाख रुपए हैं। यह मेरी कुल जमा पूंजी हैं।’ उन्होंने कहा था कि मैं जब जज बना था तो मेरे पास कहीं अधिक धन था। धन के मामले में मुझे कोई पकड़ नहीं सकता। लोगों को कुछ और तलाश करना था और उन्हें यह मिल गया।

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