देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण के बढ़ते स्तर पर सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को खरी खरी सुनाई। सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि , ‘लोगों को गैस चैंबरों में रहने के लिए क्यों मजबूर किया जा रहा है? उन सभी को एक बार में मारना बेहतर है, आप एक बार में 15 बैग में विस्फोटक लगा कर शहर को उड़ा दें। कोर्ट ने आगे कहा कि लोगों को यह सब क्यों भुगतना चाहिए? दिल्ली में? खेल चल रहा है, हम सचमुच हैरान हैं ‘।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अरुण मिश्रा ने प्रदूषण पर कहा कि हमारे देश में लोग हंस रहे हैं कि हम भी स्टबल बर्निंग को कंट्रोल नहीं कर सकते। ब्लेम गेम दिल्ली के लोगों की सेवा नहीं है। आप लोग दोष खेल खेलेंगे, इसे (प्रदूषण) गंभीरता से नहीं लेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि है कि वह राष्ट्रीय राजधानी में जल प्रदूषण के मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लेगा, यह सत्यापित करने के लिए कि क्या पीने का पानी लोगों के लिए सुरक्षित है या नहीं और केंद्र और दिल्ली सरकार को सभी संबंधित आँकड़ों के साथ वापस आने के लिए कहता है
जस्टिस अरुण मिश्रा ने आगे कहा कि दिल्ली नरक से भी बदतर है। भारत में जीवन इतना सस्ता नहीं है और आपको भुगतान करना होगा। वहीं दिल्ली सरकार से उन्होंने कहा कि आपको कुर्सी पर बैठने का कोई अधिकार नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति को कितने लाख का भुगतान किया जाना चाहिए? आप किसी व्यक्ति के जीवन को कितना महत्व देते हैं?
आपको बता दें कि राजधानी दिल्ली में लोगों का प्रदूषण से हाल बेहाल है। दिल्ली में आज AQI अभी 218 पर है जो खराब की श्रेणी में आता है।