प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को पीने के पानी के मसले पर भी दिल्ली सरकार पर निशाना साधा। प्रधानमंत्री ने कहा कि दिल्ली की सबसे बड़ी समस्या पेयजल को लेकर प्रदेश सरकार आंख मूंद कर बैठी है।
रामलीला मैदान में यहां एक विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, आज दिल्ली सरकार सबसे बड़ी समस्या से आंख मूंद कर बैठी है। यह समस्या है पीने के पानी की।
उन्होंने कहा कि इन लोगों की माने तो दिल्ली में हर घर में साफ पानी आता है लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है।
मोदी ने जनसभा में उमड़ी भीड़ से पूछा, क्या दिल्ली सरकार द्वारा जो कहा जा रहा है उससे सहमत हैं? क्या आपको साफ पानी मिलता है?
इस पर लोगों ने नहीं में जवाब दिया। प्रधानमंत्री ने सवालिया लहजे में कहा, क्या आपको गंदा पानी को लेकर चिंता नहीं होती है? क्या आपको बीमारी का डर नहीं लगता है?
मोदी ने कहा कि सच्चाई यह है कि देश में सबसे ज्यादा वाटर प्यूरीफायर यानी पानी को शुद्ध करने वाली मशीनें दिल्ली में बिकती है।
उन्होंने कहा कि जो लोग ये मशीनें नहीं लगा पाते हैं वे 40-50 रुपये में बोतल वाला पीने का पानी खरीदते हैं और जो इसका भी खर्च वहन नहीं कर पाते हैं उन्हें मजबूरी में नल से आपूर्ति किया जाने वाला गंदा पानी पीना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली में एक तो नल में पानी आता ही नहीं है और जहां आता है वहां लोगों को इस पानी की शुद्धता को लेकर विश्वास नहीं है।
प्रधानमंत्री के भाषण के अंशों के साथ ट्वीट के जरिए केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री राम विलास पासवान ने कहा, मेरे मंत्रालय के अंदर आने वाली संस्था बीआईएस (भारतीय मानक ब्यूरो) द्वारा जांच के बाद 16 नवंबर को जारी दिल्ली सहित 21 राज्यों की राजधानियों में सप्लाई हो रहे पानी की गुणवत्ता की रैंकिंग में दिल्ली अंतिम स्थान पर था, यहां सप्लाई हो रहा पानी सबसे खराब पाया गया था। लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री ने इसे गलत बताया था।
गौरतलब है कि बीआईएस द्वारा पीने के पानी के नमूने की जांच के बाद जो रैंकिंग जारी किए उनमें मुंबई अव्वल स्थान पर था जबकि दिल्ली सबसे निचले पायदान पर। मुंबई में एकत्र किए गए पानी के सभी 10 नमूने बीआईएस मानक के अनुसार शुद्ध पाए गए जबकि दिल्ली से इकट्ठा किए गए सभी 11 नमूने विफल पाए गए थे।