पानी का मूल्य वो समझता है जो पानी के अभाव में जीता है – स्वतंत्र देव सिंह

यूपी के जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि पानी के आभाव मे जीने वाला ही इसका मूल्य समझता है।

जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह उदयगंज स्थित सिंचाई विभाग मुख्यालय के सिंचाई भवन में भू-जल के क्षेत्र में सुधार लाने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि आज जल है तो कल है की भावना को आत्मसात करते हुए प्रत्येक नागरिक को जल संरक्षण के अभियान के साथ जुड़ना पड़ेगा, उसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाना पड़ेगा। क्योंकि जो पानी के आभाव मे जीता है उसे मूल्य पता होता है।

उन्होंने जल संकट से निपटने की दिशा में अटल भूजल योजना का जिक्र करते हुए उसे मील का पत्थर बताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के कुशल मार्गदर्शन में योगी सरकार ने अटल भूजल योजना को सभी 75 जनपदों के 826 विकास खंडों में लागू करने का काम किया है।

स्वतंत्र देव सिंह ने सतत भूजल संरक्षण के लिए भूजल पुनर्भरण के कार्यक्रम को बड़े पैमाने पर लागू करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हर गांव में ब्लाक स्तर पर एवं शहरों में भी जल प्रबंधन नीति को सुचारू रूप से चलाना होगा।

जलशक्ति मंत्री ने कहा कि भारत के विकास में पानी की कमी बाधा न बनें इसे लिए काम करते रहना हम सभी का दायित्व है। सबका प्रयास बहुत आवश्यक है। कहा कि हम अपनी आने वाली पीढ़ियों के प्रति भी जवाबदेह हैं। पानी की कमी की वजह से हमारे बच्चे, अपनी ऊर्जा राष्ट्र निर्माण में न लगा पाएं। उनका जीवन पानी की किल्लत से निपटने में ही बीत जाए ये हम नहीं होने दे सकते।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि पानी का उपयोग हमें प्रसाद के रूप में करना चाहिये। लेकिन कुछ लोग पानी को प्रसाद नहीं बहुत ही सहज सुलभ मानकर उसे बर्बाद करते हैं वो पानी का मूल्य ही नहीं समझते। उन्होंने कहा कि पानी का मूल्य वो समझता है जो पानी के अभाव में जीता है। वहीं जानता है एक एक बूंद पानी जुटाने में कितनी मेहनत करनी पड़ती है।

जलशक्ति मंत्री ने कहा कि आज आवश्यकता है कि उत्तर प्रदेश एक ऐसा जल सुरक्षित राज्य बने, जो पर्यावरणीय ²ष्टि से टिकाऊ हो व जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने के लिए तैयार रहे। इसको लेकर सरकार विभिन्न स्तरों पर प्रयास कर रही है। केंद्र व राज्य सरकार के विभिन्न अंगों के साथ ही जल संरक्षण के इस अभियान में सामाजिक संगठनों और संस्थाओं को भी शामिल किया जा रहा है।

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