पराली की समस्या के समाधान के लिए 1151.80 करोड़ की योजना


केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मंगलवार को संसद को बताया कि फसल अवशेषों (पराली) के प्रबंधन के लिए सरकार ने 1151.80 करोड़ रुपये की योजना शुरू की है। कांग्रेस सांसद के. मुरलीधरन द्वारा लोकसभा में पूछे गए एक तारांकित प्रश्न के लिखित जवाब में कृषि मंत्री ने बताया कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के किसानों को मशीन द्वारा खेतों में फसल अवशेष के प्रबंधन के लिए सरकार मशीनरी खरीदने पर आर्थिक सहायता दे रही है, जिससे वायु प्रदूषण की समस्या का समाधान किया जा सके।

इन राज्यों में पराली जलाने से दिल्ली और आसपास के इलाके में हर साल प्रदूषण की गंभीर समस्या पैदा होती है। इस साल भी दिल्ली-एनसीआर कई दिनों गैस चैंबर बनी रही और दमघोंटू हवा से लोगों को दो-चार होना पड़ा है।

मुरलीधरन ने मंत्रालय द्वारा पराली जलाने से उत्पन्न समस्या का समाधान करने और फसल कटाई के बाद पराली के प्रबंधन के लिए सस्ते उपकरण मुहैया करवाने के संबंध में किए जा रहे उपायों की जानकारी मांगी थी।

तोमर ने अपने जवाब में कहा, “वर्ष 2017-18 और 2019-20 के दौरान फसल अवशेष प्रबंधन के लिए 1151.80 करोड़ रुपये की केंद्रीय निधि के कुल खर्च के साथ कृषि यंत्रीकरण प्रोत्साहन की एक नई योजना शुरू की गई है।”

उन्होंने अपने लिखित जवाब में सदन को बताया कि इस योजना के तहत फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी के लिए फार्म मशीनरी बैंक या कस्टम हायरिंग केंद्रों की स्थापना के लिए किसानों की सहकारी समितियों, एफपीओ, स्वयंसेवी समूहों, पंजीकृत किसान सहकारी समितियों/किसान समूहों, निजी उद्यमियों, महिला किसान समूहों या स्वयंसेवी समूहों को परियोजना लागत में 80 फीसदी सब्सिडी दी जाती है।

वहीं, व्यक्तिगत रूप से किसानों को मशीनरी की लागत पर 50 फीसदी सब्सिडी दी जाती है।

कांग्रेस सांसद ने कृषि उन्नयन और आधुनिकीकरण की प्रायोगिक परियोजनाओं की भी जानकारी मांगी जिसके जवाब में केंद्रीय मंत्री ने कहा, “कृषि राज्य का विषय है और भारत सरकार केंद्र द्वारा प्रायोजित योजनाओं के माध्यम से राज्य सरकारों को सहायता प्रदान करती है।”

उन्होंने कहा कि आधुनिक प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से देश में कृषि क्षेत्र को काफी लाभ हुआ है। उन्होंने कहा, “मौसम, बाजार मूल्य और पौध संरक्षण के बारे में सूचना देने के लिए किसान सुविधा मोबाइल एप्लीकेशन विकसित की गई है। एसएमएस के माध्यम से पंजीकृत किसानों को फसल संबंधी परामर्श देने के लिए एम-किसान पोर्टल किसान किया गया है। किसानों को ऑनलाइन ट्रेडिंग मंच प्रदान करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक-राष्ट्रीय कृषि मंडी (ई-नाम) की पहल शुरू की गई है।”

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