नूंह का सन्नाटा तोड़ते बुलडोज़र और प्रशासन की कार्रवाई के बीच कई सवाल, “कहां से आते हैं पैसे”?

दिल्ली से महज़ ६० किलोमीटर दूर पिछले हफ़्ते हुई हिंसा में आरोपियों के ख़िलाफ़ प्रशासन की कार्रवाई जारी है।  नूंह बस स्टैंड के सामने बुलडोज़र का शोर इलाक़े में फैले सन्नाटे को तोड़ रहा है।  आसपास के इलाक़े में प्रशासन ने सड़क किनारे बनी सभी अस्थायी दुकानों को ज़मींदोज़ कर दिया है। टिन और लोहे की रॉड से बने खोखों को मटियामेट करते वक़्त बुलडोज़र का ड्राइवर हिचकता है तो वहां मौजूद एक पुलिसकर्मी उससे कहता है, “ये सब पत्थरबाज़ों की दुकानों हैं, किसी पर रहम नहीं करना है, इस खोखे को पूरी तरह ख़त्म करो।”

 नूंह के ज़िलाधिकारी धीरेंद्र खड़गटा की माने तो ये सभी अवैध निर्माण हैं जिनके ख़िलाफ़ कार्रवाई हो रही है। उनका कहना है कि, “पुलिस की रिपोर्ट के बाद ये कार्रवाई हो रही है। सिर्फ उन्हीं निर्माणों को तोड़ा जा रहा है जो अवैध हैं।”  वहीं नूंह के डिस्ट्रिक्ट प्लानिंग अधिकारी विनेश सिंह कहते हैं, “उन जगहों को चिन्हित किया गया है जहां से पत्थरबाज़ी हुई है। जिन निर्माणों की संलिप्तता सामने आई है उन्हें तोड़ा जा रहा है।”

लेकिन, अब सवाल ये उठता है कि इतने सारे अवैध निर्माण हुए कैसे? किसकी अनुमति से अब अवैध कारोबार फलता फूलता रहा? क्या इन्हीं अवैध पैसों का इस्तेमाल ऐसे उपद्रव या हिंसा के लिेए होता रहा है? इसमें कितनी सच्चाई है ये तो जाँच के बाद ही पता चलेगा।

दरअसल, ये सभी तोड़े जाने वाले अवैध मकान या दुकान के मालिकों की हैसियत बड़ी नहीं है। इसी इलाक़े में अवैध कोरबार से करोड़ों कमाने वाले भी मौजूद हैं जो दिल्ली, यूपी, हरियाणा और राजस्थान में कारोबार फैला रखे हैं। लेकिन फिर भी  पुलिस की ये लाइन इस सोच को दर्शाती है कि इस इलाक़े में रहने वाले लोगों की पहचान किसी न किसी ग़लत कारणों से रही होगी। एनसीआर के सबसे कम विकसित और गरीब जिलों में शुमार नूंह मुसलमानों की आबादी के मामले में देश के कुछ सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाले जिलों में शुमार है। दंगों की आग से झुलस रहा और करोड़ों की संपत्ति स्वाहा कर चुका नूंह एनसीआर का सबसे गरीब और अविकसित जिलों में शुमार होता है। 2019-21 के NFHS सर्वे के अनुसार एनसीआर के 35 जिलों में नूंह दूसरा सबसे गरीब जिला है।  हरियाणा का नूंह जिला अपराध का गढ़ रहा है, जहां से कई अवैध कारनामा करने वालों के तार इसी इलाक़े से जुड़ते पाए गए। सद्भावना टुडे ने अपनी पड़ताल में कई ऐसे कड़ी को नूंह इलाक़े से जुड़ा पाया है।

इसी साल ज़ून महीने में मथुरा पुलिस ने फर्जी कैंप लगाकर सस्ते दामों में प्लॉट बेचने वाले एक महिला और उसके पति को गिरफ्तार किया था। अभियुक्तों ने आई एंड टेक कंपनी बनाकर उत्तर प्रदेश के मथुरा में वृंदावन में यमुना किनारे की खादर की जमीन को प्लॉट दिखाकर दिल्ली एनसीआर के लोगों से लाखों की ठगी करने का आरोप था।इस सिलसिले में थाना वृंदावन पर धारा 420,467,468,471 में दर्ज किया गया था।  जिसका सरग़ना इमरान भी नूंह का ही रहने वाला है, जो अपना धंधा दिल्ली में ऑफिस खोल कर चलाता था। ३३ वर्षीय सरगना इमरान खान, नूहँ के पल्ला गाँव का निवासी है।

दरअसल, इमरान और उसकी पत्नी ने I&S BUILDTECH PVT LTD कम्पनी दिल्ली में रजिस्टर्ड कराकर एनसीआर में जगह जगह ऑफिस खोले। हालाँकि इस ग्रुप का मुख्य ऑफिस प्रीतमपुरा दिल्ली में खोला जबकि कालिन्द्री कुन्ज शाहीन बाग दिल्ली,सैक्टर 2 नोएडा, डावरी व CC Complex ,नई दिल्ली में ब्रांच ऑफिस खोले। इसके बाद इन लोगों ने NCR क्षेत्र में कूट रचित दस्तावेज तैयार कर, फर्जी स्कीम लांच दिखाकर ज्यादा कमाई का प्रलोभन दिया और फर्जी प्लॉटिंग कर लोगो से ठगी करने का सिलसिला जारी रखा। इसके ज़्यादातर फर्जीवाड़ा प्रोजेक्ट उत्तरप्रदेश में ही हैं। ड्रीम-वन, ड्रीम -टू नामक फ़र्ज़ी प्रोजेक्ट अलीगढ़ के ट्प्पल में शुरू किया जबकि आई &एस स्टार ग्लोबल- टप्पल के नूरपुर में। प्रोजेक्ट हेवन सिटी- ज़ेवर के झज्जर में, जबकि ड्रीम वैली और गोल्ड सिटी- गाजियबाद के ढाबासी और लोनी में लाँच किया। 

सद्भावना टुडे की इस पड़ताल में फ़िलहाल मथुरा में नूंह निवासी इमरान द्वारा किए गए फ़र्ज़ीवाड़े का ज़िक्र था। अगली रिपोर्ट में एक नई जगह की कहानी के साथ-साथ हम उन लोगों की आपबीती आपसे साझा करेंगे जिनके साथ नूंह निवासी इमरान ने फ़र्ज़ी प्रोजेक्ट के ज़रिए करोड़ों की कमाई की। जिसका फ़ायदा शायद ऐसे उपद्रव हिंसा करने में भी किया जाता रहा होगा। 

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