नीतीश ने ‘पीके’ पर कार्रवाई कर कई मामलों में ले ली बढ़त!


जनता दल (युनाइटेड) के प्रमुख नीतीश कुमार को मंजे हुए राजनीतिक रूप में माना जाता है। नीतीश कुमार ने एकबार फिर पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रशांत किशोर और पवन वर्मा पर कार्रवाई करते हुए पार्टी से निकालकर एक तीर से कई निशाने साधे हैं।

लगातार पार्टी विरोधी बयान दिए जाने से नाराज नीतीश ने दोनों नेताओं के पार्टी से निष्कासित कर बिहार में पिछले करीब दो महीने से राष्ट्रीय राजतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक दलों के रिश्ते में छाई सियासी धुंध हटाने की कोशिश की है, वहीं अपनी पार्टी के नेताओं को भी बयानों को सोच-समझकर देने का संदेश भी दे दिया है।

पार्टी के एक नेता भी कहते हैं कि भाजपा और जद (यू) में जिस तरह कई नेता एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी कर रहे थे, उसको लेकर घटक दलों में अविश्वास के भाव पनप रहे थे। इस निर्णय से दोनों दलों में एकजुटता को मजबूती आएगी।

उल्लेखनीय है कि पिछले दो-तीन महीने में जद (यू) और भाजपा के शीर्ष नेता एक-दूसरे के पक्ष में भले ही बयान दे रहे थे, मगर जद (यू) के प्रशांत किशोर और पवन वर्मा सहित कई नेता भाजपा के शीर्ष नेताओं पर भी सियासी हमला करने से नहीं चूक रहे थे।

ऐसा नहीं कि ऐसे बयान केवल जद (यू) नेताओं द्वारा ही दिए जा रहे थे। भाजपा के केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और विधान पार्षद संजय पासवान सहित कई नेता भी थे, जो लगातार आने वाले चुनाव को लेकर नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री पद उम्मीदवार को लेकर ही सवाल उठा रहे थे।

इस स्थिति में राजग के घटक दलों के संबंधों में जड़ता आ रही थी। जदयू, भाजपा एवं लोजपा के दूसरे-तीसरे दर्जे के नेताओं में अज्ञात भय था। इस दौरान संदेश जा रहा था कि भाजपा-जदयू में तालमेल ठीक नहीं है।

पीके और पवन वर्मा को जद (यू) से बाहर का रास्ता दिखाकर दोनों दलों के कार्यकर्ताओं को आपसी रिश्ते की गहराई समझा दी है।

जद (यू) के प्रवक्ता राजीव रंजन भी कहते हैं कि घटक दलों में आपसी बयानबाजी से गलत संदेश जाता है। इस कारण गठबंधन में शामिल घटक दलों को बयान देने में संयम बरतना चाहिए।

गौरतलब है कि दिल्ली में भी भाजपा और जद (यू) रणनीतिकारों ने गठबंधन कर बिहार के नेताओं और कार्यकर्ताओं को स्पष्ट संदेश देने की कोशिश की है कि दोनों दलों में कोई भी मतभेद नहीं है।

दीगर बात है कि पवन वर्मा ने दिल्ली में भाजपा के साथ गठबंधन के विरोध में नीतीश को पत्र लिखा था। वर्मा ने भाजपा एवं केंद्र पर निशाना भी साध रहे थे। उनके बयानों से माना जा रहा था कि जद (यू) दिल्ली में आप के साथ खड़ा है। जद (यू) ने दिल्ली चुनाव को लेकर भी यह स्पष्ट संदेश दे दिया है।

सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री और जद (यू) अध्यक्ष नीतीश कुमार कुछ दिन पहले ही इस निर्णय पर पहुंच गए थे। यही कारण है कि कुछ दिन पहले ही कहा था कि अभी वे जल-जीवन-हरियाली अभियान को लेकर व्यस्त हैं और 19 जनवरी को मानव श्रृंखला आयोजन के बाद सभी लोगों के सभी प्रश्नों का उत्तर भी देंगे।

मुख्यमंत्री ने 19 जनवरी के बाद एक ही निर्णय से सभी प्रश्नों का ‘जवाब’ देकर कई चुनौतियों को निपटा भी दिया।

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