उद्योग संगठन ने एक बयान में कहा कि इन कदमों से देश की अर्थव्यवस्था में स्थिरता आएगी और इसे ताजा प्रोत्साहन मिलेगा।
बयान में कहा गया है, “भारत की जीवीए (सकल मूल्य वर्धित) वृद्धि दर वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में 5.8 फीसदी रही और उन्नत संकेतक बताते हैं कि वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में यह सीमित दायरे में रहेगी। वित्तमंत्री के पॉलिसी पैकेज में वित्तीय क्षेत्र, कराधान, एमएसएमई और ऑटोमोटिव सेक्टर को शामिल किया गया कि जिसकी वकालत सीआईआई करता रहा है।”
सीआईआई ने बयान में कहा कि उसे उम्मीद है कि आगामी महीनों में अर्थव्यवस्था रफ्तार पकड़ेगी।
उद्योग संगठन ने कहा कि वित्तमंत्री द्वारा विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों पर सरचार्ज वृद्धि हटाए जाने और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा एफपीआई विनियमन में संशोधन किए जाने से निवेशकों को मनोबल बढ़ेगा।
सीआईआई के नामित अध्यक्ष उदय कोटक के अनुसार, एफपीआई से बढ़े हुए सरचार्ज हटाए जाने, रेपो रेट में कटौती का हस्तांतरण होने और विलंबित भुगतान का समाधान किए जाने के फैसले रणनीतिक फैसले हैं जिनका लक्ष्य निवेश बढ़ाना है।