नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हर साल ठंड का मौसम शुरू होने से पहले ही दिल्ली में बढ़ जाने वाले वायु प्रदूषण और धुंध की समस्या को लेकर एक डिजिटल प्रेस कॉन्फ्रेंस की. उन्होंने इस दौरान दिल्ली सरकार के नए कैंपेन ‘युद्ध प्रदूषण के विरुद्ध’ कैंपेन की घोषणा की है|
मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘इस साल प्रदूषण हमारे लिए जानलेवा हो सकता है क्योंकि कोरोना फैला हुआ है. हमने बहुत काम किया लेकिन हमें संतुष्ट नहीं होना है|
इस कोरोना के साल में हमको अपने बच्चों के लिए प्रदूषण कम करना होगा. आज से हम प्रदूषण के खिलाफ युद्ध छेड़ रहे हैं. ‘युद्ध प्रदूषण के विरुद्ध’ नाम से कैंपेन शुरू कर रहे हैं|
उन्होंने कहा, ‘पिछले 5 सालों में दिल्ली में सबने मिलकर प्रदूषण बढ़ने नहीं दिया. हमारे यहां ट्रैफिक भी बढ़ा और इंडस्ट्रियल एक्टिविटी, इकोनामिक एक्टिविटी भी बढ़ी लेकिन दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने के बजाय कम हुआ है|
दिल्ली में 2014 से 2019 तक प्रदूषण में 25% की कमी आई है.’ केजरीवाल ने कहा कि उनकी सरकार ने इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी पहले ही लॉन्च कर दी है जो ‘देश ही नहीं दुनिया की सबसे बढ़िया पॉलिसी’ है|
अपने कैंपेन को लेकर उन्होंने कहा कि उन्होंने आज ही सभी विभागों के साथ मीटिंग की है और सभी विभाग इस युद्ध में शामिल होंगे. इसमें तीनों नगर निगम, PWD, ट्रांसपोर्ट विभाग वगैरह सब शामिल हैं|
पराली जलाने से उठे धुएं की समस्या पर केजरीवाल ने कहा, ‘हर साल पराली के समस्या से हम लोग जूझते हैं. इस साल पूसा इंस्टीट्यूट ने पराली का एक बहुत सस्ता और सरल उपाय ढूंढा है|
उन्होंने एक घोल बनाया है, पराली के ऊपर उसको छिड़कने से उसका डंठल गल जाता है और वह खाद बन जाती है. दिल्ली में हम लोग खुद छिड़काव करवाएंगे और अगर इस साल यह सफल होता ह|
तो आसपास के राज्यों से आने वाले समय में कहेंगे. कल घोल बनना शुरू होगा और मैं देखने जाऊंगा|
उन्होंने कहा, ‘आसपास के राज्यों से मेरी हाथ जोड़कर अपील है कि अगर हवा खराब होती है तो हवा यह नहीं देखती कि यह हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की हवा खराब है|
हवा तो बहती रहती है. प्रदूषण इधर से उधर होता रहता है. किसान खुद पराली जलाकर परेशान हैं. आसपास के राज्य कोशिश करें कि पराली जलाने का सिलसिला बंद हो, इसका रास्ता निकालें जैसे हमने निकाला|