नई दिल्ली। दिल्ली लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को भारी हार का सामना करना पड़ा है। कांग्रेस को दिल्ली की सभी सात सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है। इस करारी हार की वजहों की पड़ताल करने के लिए कांग्रेस ने सोमवार को एक पांच सदस्यीय समिति का गठन किया जो चुनाव में मिली हार के कारणों की गहराई से जांच एवं समीक्षा करेगी। समिति में परवेज हाशमी, डॉ. एके वालिया, डॉ. योगानंद शास्त्री, राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा और पूर्व विधायक जयकिशन को शामिल किया गया है।
दिल्ली में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। इसे देखते हुए समिति को विस चुनावों में जीत सुनिश्चित करने एवं पार्टी को मजबूत बनाने के उपायों पर चर्चा करने की भी जिम्मेदारी दी गई है। समिति 10 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को सौंपेगी। पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में राजधानी में इस बार कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहा है। 2019 के चुनाव में दिल्ली की पांच सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार दूसरे नंबर पर थे जबकि 2014 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस सभी सीटों पर तीसरे नंबर पर थी। इस चुनाव में भी भाजपा ने सभी सात सीटों पर अपना कब्जा जमाया था।
पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित उत्तर पूर्व दिल्ली सीट से चुनाव लड़ा था। इस सीट पर उनका मुकाबला मौजूदा सांसद एवं दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी से था। इस मुकाबले में शीला दीक्षित को हार का सामना करना पड़ा। तिवारी ने करीब साढ़े तीन लाख वोटों से दीक्षित को हराया। भाजपा ने दिल्ली की इन सात सीटों पर कब्जा करने के साथ ही अपने वोट शेयर में भी वृद्धि की है। भगवा पार्टी ने अपने वोट शेयर में करीब 10 फीसदी वोट का इजाफा किया है।
लोकसभा चुनाव में इस बार आम आदमी पार्टी को भारी नुकसान हुआ है। इस बार उसके सभी उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहे हैं। 2014 के लोकसभा चुनावों में आप के उम्मीदवार सभी सात सीटों पर दूसरे स्थान पर आए थे। इस चुनाव में आप को करीब 18 प्रतिशत वोट मिले जबकि कांग्रेस को इस बार करीब 22 फीसदी और भाजपा को 56 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिले हैं।
चर्चा यह भी है कि कांग्रेस के इस खराब प्रदर्शन के पीछे पार्टी की आंतरिक गुटबाजी है। प्रदेश स्तर के नेताओं में आपसी तालमेल के अभाव के चलते चुनाव के दौरान कार्यकर्ताओं में उत्साह देखा गया। समझा जाता है कि समिति की इस रिपोर्ट के बाद पार्टी आलाकमान सांगठनिक ढांचे में बड़ा बदलाव कर सकता है। संगठन में नए चेहरों को जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस विधानसभा चुनावों को गंभीरता से ले रही है और इसके लिए वह सख्त कदम उठाने से भी पीछे नहीं हटेगी।