दिल्ली चुनावों में आप व भाजपा के समीकरण बिगाड़ सकती है बसपा


दलित वोटों पर नजर रखते हुए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने दिल्ली की सभी 70 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं। दिल्ली में दलितों की 25 लाख आबादी है और यहां इनके लिए 12 सीट आरक्षित हैं। दर्जन भर सीटों पर दलितों की अच्छी-खासी तादाद है, जिससे बसपा अन्य दलों के समीकरण बिगाड़ सकती है।

दिल्ली के बसपा प्रमुख लक्ष्मण सिंह ने बताया, अगर पार्टी को केवल दलित वोट देते हैं तो हमें किसी और की आवश्यकता नहीं है, लेकिन हमारी पार्टी समावेशी और धर्मनिरपेक्ष है और इसलिए हमने अल्पसंख्यकों और ब्राह्मणों सहित प्रत्येक समुदाय को टिकट दिया है। बसपा ने बदरपुर विधानसभा सीट से आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक एन. डी. शर्मा को चुनावी मैदान में उतारा है। आप ने शर्मा की जगह कांग्रेस के पूर्व विधायक राम सिंह नेताजी को टिकट दिया है।

बसपा अपने नेताओं को प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में प्रचार करने के लिए आगे कर रही है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि पार्टी प्रमुख मायावती दिल्ली में चुनाव प्रचार अभियान में शामिल होंगी या नहीं। आप ने 2015 में दिल्ली में सभी 12 आरक्षित सीटें जीती थीं। बसपा ने 2008 में दो सीटें जीतीं थीं और वह पांच निर्वाचन क्षेत्रों में दूसरे स्थान पर रही थी। पार्टी 2013 में कोई सीट नहीं जीत सकी, लेकिन पांच सीटों पर दूसरे स्थान पर रही थी।

दिल्ली में चुनाव की घोषणा से पहले ही दलित वोटों की ताकत से वाकिफ आप 6000 दलित परिवारों तक पहुंच गई। आप के एक अंदरूनी सूत्र ने कहा, हमने मोहल्ला क्लीनिकों, मुफ्त बिजली और स्कूलों के माध्यम से इन इलाकों में लोगों के साथ एक नेटवर्क स्थापित किया है, जो उनके लिए फायदेमंद साबित हुआ है। इसलिए वे कहीं नहीं जा रहे हैं। भाजपा की नजर भी दलित मतदाताओं पर है और वह विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से उनके पास पहुंच रही है।

पार्टी का दावा है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने इस समुदाय के लिए इतना कुछ किया है कि चुनावों में पार्टी को उम्मीद है कि दलित वोट पर्याप्त मिलेगा। कांग्रेस को भी दलित वोट मिलने की उम्मीद है। पार्टी प्रवक्ता जितेंद्र कोचर ने कहा, दलितों ने आप को पांच सालों तक देखा है और अब वे जानते हैं कि कांग्रेस ही एकमात्र ऐसी पार्टी है, जो उनके बारे में सोचती है और वे पार्टी को वोट देंगे।

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