दिल्ली के स्कूली छात्र लोगों को सिखाएंगे हैप्पीनेस क्लास के गुर

हैप्पीनेस क्लास अब केवल दिल्ली के सरकारी स्कूलों तक सीमित नहीं रहेगी बल्कि छात्रों ने हैप्पीनेस क्लास में जो सीखा वह उसे लोगों को सिखाएंगे। दिल्ली में 4 साल पहले दलाई लामा की उपस्थिति में हैप्पीनेस करिकुलम की शुरूआत की गई थी।

पिछले 4 सालों में देश-दुनिया के बहुत से लोगों इस करिकुलम से देखने-सीखने आए कि कैसे रोजाना दिल्ली के सरकारी स्कूलों में लाखों बच्चे अपने दिन की शुरूआत हैप्पीनेस की क्लास और माइंडफुलनेस से करते हैं। अब दिल्ली के स्कूलों के बच्चे लोगों को इस क्लास के गुर सिखाएंगे।

दरअसल दिल्ली सरकार के स्कूलों में गुरूवार से हैप्पीनेस उत्सव 2022 की शुरूआत हुई है। प्रसिद्ध लाइफस्टाइल कोच गौर गोपाल दास और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने गुरूवार को इस उत्सव का शुभारंभ किया।

इस मौके पर गौर गोपाल दास ने बच्चों के साथ हैप्पीनेस क्लास अटेंड करते हुए माइंडफुलनेस का अभ्यास किया और बच्चों से हैप्पीनेस पर खास बातचीत करते हुए उन्हें हैप्पीनेस के असल मायने बताएं।

उन्होंने कहा कि हैप्पीनेस की जो बातें आज दिल्ली सरकार के स्कूलों में बच्चों को सिखाई जा रही हैं, वो चीजें मैं इंजीनियरिंग करने के बाद आध्यात्मिक जीवन में आने के बाद सीख पाया कि कैसे माइंडफुल रहते हुए स्वयं अपने मन और जिन्दगी को बेहतर बना सकते हैं।

गौर गोपाल दास एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं, और इन्होने अपनी पढ़ाई कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, पुणे से की। इंजीनियरिंग के बाद उन्होंने अपने करियर को अपग्रेड करते हुए एक लाइफ कोच बनने का फैसला किया। इसके बाद से 2 दशकों से अधिक समय से गौर गोपाल दास भारत और दुनिया के विभिन्न प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों और कॉर्पोरेट फर्मों में अपनी बातें रख रहे हैं और यहां तक कि वह संयुक्त राष्ट्र और ब्रिटिश संसद में भी बोल चुके हैं।

गौर गोपाल दास ने बच्चों से चर्चा करते हुए कहा कि, खुश रहने के लिए ये बेहद जरुरी है कि हमें खुशी के पहलुओं की समझ हो। हमें लगता है कि बहुत-सी सुविधाएं होने पर हम खुश रह सकते हैं लेकिन ऐसा नहीं है।

उदाहरण के लिए कोई शानदार गाडी हमें खुशी नहीं देती बल्कि सफर से खुशी मिलती है। ठीक उसी तरह हमें घर से खुशी नहीं मिलती बल्कि उसमें रहने वाले लोगों से, उनके साथ हमारे रिश्तों से खुशी मिलती है। उन्होंने कहा कि बड़ी सुविधाएं हासिल करना गलत नहीं है वो बेहद जरुरी है, क्योंकि उससे हम स्वयं की अपने परिवार की जिन्दगी को बेहतर कर सकते हैं। लेकिन यह सोचना कि आपके पास मौजूद वस्तुएं आपको खुशी देंगी ये गलत है।

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