दिल्ली के सरकारी स्कूलों में प्रधानाचार्यों के 363 पदों के लिए चयन प्रक्रिया शुरू की गई है। दिल्ली में लगभग एक दशक के बाद यूपीएससी द्वारा प्रधानाचार्यों की सीधी भर्ती की जा रही है।
इससे पहले प्रधानाचार्यों के पिछले बैच ने 2012 में अपनी लिखित परीक्षा दी थी और 2015 में स्कूलों को ज्वाइन किया था। 2010 में शुरू हुई यह भर्ती प्रक्रिया 2015 में पूरी हुई थी।
इस बाबत दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने यूपीएसई के चेयरमैन को पत्र लिखकर प्रधानाचार्यों के चयन के लिए प्रयोग में लाये जाने वाले 6 विषय वास्तुओं के अतिरिक्त 5 और योग्यताओं पर ध्यान देने की बात कही है।
यूपीएसई द्वारा प्रधानाचार्यों के चयन के लिए आयोजित की जाने वाली लिखित परीक्षा 300 अंकों की होती है और पूरे रिजल्ट में इसका वेटेज 75 फीसदी होता है। यूपीएससी 6 विषयों पर प्रधानाध्यापकों के लिए एक उम्मीदवार की जांच करता है।
इनमें सामान्य ज्ञान समकालीन सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक मुद्दे, हिंदी और अंग्रेजी भाषा कौशल, तर्क क्षमता और मात्रात्मक योग्यता, शिक्षा नीतियां और शिक्षा माप और मूल्यांकन, मैनेजमेंट और फाइनेंसियल एडमिनिस्ट्रेशन, कार्यालय संबंधी कामकाज प्रक्रिया शामिल हैं।
सिसोदिया ने प्रधानाचार्यों की चयन प्रक्रिया के लिए यूपीएसई को 5 और बिंदु पर ध्यान देने का सुझाव दिया है, इनमें शामिल है प्रत्येक बच्चे और उसकी सीखने की क्षमता के प्रति विश्वास, दिल्ली की संस्कृति और विविधता का सम्मान, दिल्ली की जमीनी हकीकत की समझ, शिक्षकों को प्रेरित करने और उन्हें गाइडेंस देने में सक्षमता, रिसर्च ओरिएंटेड माइंडसेट, हमेशा पढ़ने-सीखने के लिए तत्परता।
सिसोदिया ने कहा कि प्रधानाचार्यों के चयन के दौरान यूपीएसई इन सभी बिन्दुओं का भी ध्यान रखे क्योंकि प्रधानाचार्य न केवल एक अकेडमिक एडमिनिस्ट्रेटर होते हैं, बल्कि वो एक स्कूल लीडर की भूमिका भी निभाते है। ऐसे में एक प्रधानाचार्य के अंदर ये सभी गुण होना बेहद महत्वपूर्ण है।