‘तो आज महाराष्ट्र में होती एनसीपी-भाजपा की सरकार…’ : प्रफुल्ल पटेल का दावा, शरद पवार ने नहीं मानी 51 MLAs की बात

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) नेता और राज्यसभा सांसद प्रफुल्ल पटेल ने सोमवार को खुलासा किया कि पिछले साल जब महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार गिरने की कगार पर थी, तब एनसीपी के 54 में से 51 विधायकों ने पार्टी प्रमुख शरद पवार को एक पत्र दिया था, जिसमें कहा गया था कि एनसीपी को सरकार बनाने के लिए बीजेपी के साथ गठबंधन करना चाहिए.

पटेल ने एक साक्षात्कार में ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ को बताया, ‘लेकिन एनसीपी नेतृत्व समय पर निर्णय लेने में विफल रहा और एकनाथ शिंदे ने अवसर का फायदा उठाया और देवेंद्र फडणवीस के साथ सरकार बना ली.’ उन्होंने यह संकेत भी दिया कि भाजपा के साथ जाने की प्रक्रिया 2022 के मध्य में ही शुरू हो गई थी.

पटेल ने कहा कि न केवल विधायक, बल्कि एनसीपी के नेता और जमीनी स्तर के कार्यकर्ता भी इच्छुक हैं कि उन्हें सरकार का हिस्सा बनना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘कई विधायकों को निर्वाचन क्षेत्रों के लिए धन आवंटन, किसानों को वित्तीय सहायता और ऐसे मुद्दों में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था. अब, सरकार में एनसीपी के साथ, हम उम्मीद करते हैं कि इन मुद्दों को प्राथमिकता के रूप में हल किया जाएगा.’

एनसीपी संस्थापक के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक पटेल को पिछले महीने पवार ने सुप्रिया सुले के साथ राकांपा का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया था, लेकिन उन्होंने अजित पवार के साथ जाने का फैसला किया. अजित पवार द्वारा कही गई बात को दोहराते हुए पटेल ने कहा कि राकांपा के अधिकांश नेताओं को लगता है कि अगर पार्टी शिवसेना के साथ गठबंधन कर सकती है, तो भाजपा के साथ हाथ मिलाने में कुछ भी गलत नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘दशकों तक शिवसेना के साथ हमारे वैचारिक मतभेद थे, लेकिन फिर भी हमने उसके साथ सरकार बनाई. और अब हमने व्यापक राष्ट्रीय हित में भाजपा के साथ हाथ मिलाया, यह विचार प्रक्रिया नई नहीं है. महाराष्ट्र के विकास और प्रगति के लिए हम सरकार में शामिल हुए हैं.’ पटेल ने कहा कि 2024 का लोकसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में और विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई में लड़ा जाएगा. उन्होंने कहा, ‘चूंकि एमवीए कमजोर हो गया है, इसलिए यह भाजपा-शिवसेना और राकांपा के लिए एक प्रभावशाली जीत होगी.’

पटेल ने कहा कि 43 से अधिक विधायकों ने अजित पवार को अपना समर्थन दिया है, लेकिन अगर राकांपा पहले की तरह एकजुट परिवार बनी रहेगी तो उन्हें खुशी होगी. उन्होंने कहा, ‘ऐसा नहीं है कि हमने खुशी-खुशी फैसला लिया है. राजनीति में कड़े फैसले लेने पड़ते हैं.’ शरद पवार समूह द्वारा उन्हें पार्टी से बर्खास्त करने के फैसले पर पटेल ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पार्टी ने पिछले कई वर्षों से अपने संविधान का पालन नहीं किया है. एनसीपी में बगावत के बाद शरद पवार के साथ अपने संबंधों पर पटेल ने कहा कि वह पवार पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे. उन्होंने कहा, ‘वह मेरे मार्गदर्शक और गुरु हैं.’

गौरतलब है कि शरद पवार द्वारा 1999 में स्थापित पार्टी को 2 जुलाई की दोपहर उस समय विभाजन का सामना करना पड़ा, जब उनके भतीजे अजित पवार उपमुख्यमंत्री के रूप में शिवसेना-भाजपा सरकार में शामिल हो गए. सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल होने वाले राकांपा के आठ अन्य विधायकों में शरद पवार के वफादार रहे छगन भुजबल और दिलीप वलसे पाटिल भी शामिल हैं.

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