गोपालगंज के जिलाधिकारी रहे जी. कृष्णैया की हत्या का मामले में दोषी पूर्व विधायक आनंद मोहन की समय से पहले रिहाई को बिहार सरकार ने सही ठहराया है. बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया और कहा कि आम जनता या लोक सेवक की हत्या की सजा एक समान है.
बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामे में कहा कि उम्रकैद की सजा काट रहे दोषी को सिर्फ इसलिए छूट से इनकार नहीं किया जा सकता क्योंकि मारा गया पीड़ित एक लोक सेवक था. हलफनामे के अनुसार, यह पाया गया कि एक लोक सेवक की हत्या के दोषी की आजीवन कारावास की समय पूर्व रिहाई पर विचार करने की अयोग्यता भारतीय दंड संहिता के तहत सामान्य रूप से हत्या के लिए निर्धारित सजा के अनुरूप नहीं थी. हलफनामे में कहा गया कि प्रासंगिक रिपोर्ट अनुकूल होने के बाद आनंद मोहन को रिहा कर दिया गया. नीतीश सरकार ने कहा कि आनंद मोहन ने अपनी कैद के दौरान तीन किताबें लिखीं और जेल में सौंपे गए कार्यों में भी भाग लिया.
8 मई को बिहार के पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से पूरा रिकॉर्ड मांगा था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आनंद मोहन की रिहाई संबंधी सिफारिश संबंधी रिकॉर्ड मुहैया कराया जाए. जी. कृष्णैया की पत्नी उमादेवी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर आनंद मोहन की रिहाई और कानून बदले जाने को चुनौती दी है.