चाइनीज माल, चाइनीज माल ही होता है, चाहे वह खिलौने हों या मिसाइल. भले ही चीन अपनी मिसाइलों का जखीरा दिखाकर दुनिया को अपना दम दिखाता हो, मगर हकीकत तो यही है कि कई मौकों पर उसके हथियार कूड़ा ही साबित हुए हैं. चीन ने केवल पाकिस्तान को ही नहीं, बल्कि ईरान को भी एक तरह से ठग लिया है. जब ईरान ने इजरायल पर जवाबी कार्रवाई की, तभी चीनी डिफेंस तकनीक की पोल खुल गई और एक बार फिर साबित हो गया कि चीन के हथियार चाइनीज माल की तरह ही हैं, जिसकी कोई गारंटी नहीं. जी हां, ईरान-इजरायल युद्ध में चीन का रोल सामने आया है.
दरअसल, 13 अप्रैल को ईरान ने इजरायल पर बड़ा हमला किया. ईरान और इजरायल के बीच जारी हमले और तनातनी के बीच दशकों से अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों की मार झेल रहे ईरान को सशक्त बनाने और इलाके में संघर्ष भड़काने में चीन की भूमिका अब सवालों के घेरे में आ गई है. इसके साथ ही चीन की रक्षा तकनीक की भी पोल खुल गई है. दुनिया को पता चल गया है कि चीन की रक्षा तकनीक कितनी फिसड्डी है. ईरान पर लगे प्रतिबंध के बाद भी उसे मिसाइल तकनीक साझा कर चीन ने उसे सशक्त बनाने की कोशिश की. चीन ने 1994-95 में ईरान को मिसाइल तकनीक में बेहतर बनाने के लिए कई तरह की सुविधा मुहैया कराई, उसे तकनीक और साथ ही इससे जुड़े उपकरण भी मुहैया कराए.
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मिसाइल को दिशा देने के लिए साथ ही इसके निर्माण और परीक्षण के लिए जिन चीजों का इस्तेमाल किया जा सकता है, जैसे जाइरोस्कोप, एक्सेलेरोमीटर और परीक्षण उपकरण तक चीन ने ईरान के रक्षा उद्योग संगठन को बेचे. जिसके जरिए ईरान ने अपनी मिसाइल क्षमता को बढ़ाने के साथ ही स्वदेशी उत्पादन क्षमता को भी बढ़ाया. अस्फहान के पास स्थित ईरान की सबसे बड़ी मिसाइल फैक्ट्री चीन की सहायता से बनाई गई थी. यही नहीं, चीन ने तेहरान के पूर्व में एक बैलिस्टिक मिसाइल संयंत्र और परीक्षण रेंज बनाने में भी ईरान की मदद की. ऐसे में ईरानी मिसाइलों के नई रेंज में सीधे तौर पर चीनी तकनीक का प्रभाव नजर आने लगा है.
अब ईरान द्वारा इजरायल पर हमले के दौरान जो रिपोर्ट्स आई, उसकी मानें तो लगभग 50 फीसदी ईरानी मिसाइल लॉन्च होने और अपने लक्ष्य तक पहुंचने में विफल रहीं, जिसने ईरान को दिए गए चीनी मिसाइल तकनीक की पोल खोल दी और चीन की रक्षा तकनीक भी सवालों के घेरे में आ गई है. एक रिपोर्ट की मानें तो ईरान ने इजरायल के खिलाफ 170 ड्रोनों से 13 अप्रैल को हमला किया और इजरायल ने सभी को रोक दिया. इन 120 में से 108 बैलिस्टिक मिसाइल थे, जिनको प्रभावहीन कर दिया गया. इसके साथ ही 30 क्रूज मिसाइलों को भी इजरायल द्वारा रोक दिया गया. ऐसे में ईरान की यह विफलता उन देशों के लिए चेतावनी है, जो चीनी रक्षा आयात पर भरोसा करते हैं.