झारखंड में लंबे इंतजार के बाद ‘गांव की सरकार’ चुनने की तैयारियां अब आखिरी दौर में हैं। सब कुछ ठीक रहा तो राज्य में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के तहत अप्रैल-मई में पांच चरणों में चुनाव कराये जा सकते हैं।
आगामी 25 मार्च को झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के समापन के बाद इसकी घोषणा की जा सकती है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और राज्य के संसदीय कार्य एवं ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम विधानसभा में स्पष्ट कर चुके हैं कि सरकार जल्द से जल्द पंचायत चुनाव कराने की पक्षधर है। राज्य के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने भी कहा है कि बजट सत्र के समापन के बाद पंचायत चुनाव की तिथियां घोषित की जा सकती हैं।
हालांकि कुछ पार्टियां और संगठन राज्य में सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार ट्रिपल टेस्ट के जरिए ओबीसी आरक्षण की व्यवस्था तय करने के बाद ही पंचायत चुनाव कराये जाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार का कहना है कि चुनाव न होने की वजह से राज्य को प्रतिवर्ष सात से आठ सौ करोड़ की केंद्रीय सहायता राशि से वंचित होना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि ओबीसी आरक्षण के लिए ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया पर पंचायत चुनाव के बाद निर्णय लिया जायेगा।
बता दें कि झारखंड में ग्राम पंचायतों, पंचायत समितियों और जिला परिषदों का कार्यकाल नवंबर-दिसंबर 2020 में ही पूरा हो चुका था। कोविड-19 महामारी की वजह से पैदा हुई विषम परिस्थितियों की वजह से राज्य की सरकार दो बार पंचायती राज व्यवस्था को विस्तार दे चुकी है। पंचायतों को दूसरी बार विस्तार देने के लिए राज्य सरकार को झारखंड विधानसभा में विगत मानसून सत्र के दौरान विधेयक पारित कराना पड़ा था। अब राज्य में कोविड से उपजे हालात तेजी से सामान्य हो रहे हैं, तो तीनों स्तर पर पंचायतों के चुनाव की कवायद तेज हो गयी है।
राज्य के निर्वाचन आयोग ने अपनी तैयारियां पहले ही कर चुकी है और इस बाबत राज्य सरकार को सूचित भी किया जा चुका है।सरकार के स्तर पर हरी झंडी मिलते ही आयोग चुनाव की घोषणा कर देगा।
झारखंड में कुल 4402 ग्राम पंचायतें हैं, जहां मुखिया (ग्राम प्रधान) के अलावा 54330 ग्राम पंचायत सदस्य, 5423 पंचायत समिति सदस्य और जिला परिषद के 545 सदस्यों का चुनाव किया जाना है। कुल मिलाकर त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के तहत 64700 पदों के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधि चुने जायेंगे।
पंचायत चुनाव की प्रशासनिक कवायद तेज होते ही गांवों में राजनीतिक सरगर्मी भी तेज हो गयी है। विभिन्न पदों के संभावित प्रत्याशियों ने जनसंपर्क अभी से शुरू कर दिया है। पंचायत चुनाव भले दलीय आधार पर नहीं कराये जाते, लेकिन विभिन्न राजनीतिक दल उन प्रत्याशियों की सूची तैयार कर रहे हैं, जिन्हें समर्थन देकर पंचायतों से लेकर जिला परिषदों तक में अपनी स्थिति मजबूत की जा सके।