गंगटोक- कर्मा डूमा भूटिया, जिन्हें गांव में घूम-घूम कर जुआ खेलना का शौक था। अब उनका ज्यादातर वक्त खेतों में गुजरता है। फूलों और सब्जियों की जैविक खेती करने वाली डोमा आज सिक्किम की प्रतिष्ठित किसान बन चुकी हैं। इस परिवर्तन के पीछे एक जैविक किसान है।
जुआ छोड़कर, जैविक खेती की ओर उनका लगाव उन्हीं के गांव जैविक खेती कर रहे किसान दिचेन कर्मा की वजह से हुआ। दिचेन कर्मा सिक्किम के एक छोटे से गांव में कई सालों जैविक खेती कर रहें हैं। जो आज कर्मा डूमा के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
कर्मा डूमा भूटिया आज अपने गाँव “साजोंग” की ही 10 अन्य महिला किसानो को भी अपने साथ लेकर “मालम किसान समूह” बना कर उत्पादन करती है। सभी महिला किसान खुद मजदूरी कर जैविक फल, सब्जियां उगातीं हैं, जिसे बेचकर अपना जीवनयापन करते हैं।
इस गाँव की एक और खास बात है। यहां खेतों में बाहर से कोई मजदूर नहीं आता, बल्कि सभी महिलाएं खुद के खेत में काम करने के अलावा अपनी साथी किसान के खेत में भी काम करतीं हैं, जिसके बदले उन्हें पैसे नहीं, बल्कि भविष्य में जरुरत पड़ने पर उनका श्रम सहयोग मिलता है।
गौरतलब ये है कि सभी महिला किसान सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक खेतों में काम करतीं हैं और साथ भोजन भी करती हैं।
इस अदभुत परंपरा को देख गांव के लिए डोमा कर्मा एक प्रेरणा बन चुकी हैं। जिसकी वजह से गांव के कई जुआरीओं में भी हाथ पैर हिलाकर सम्मानजनक जीने की हिम्मत आई है।