जी20 शिखर सम्मेलन में अफगानिस्तान चर्चा का मुख्य केंद्र, पीएम मोदी ने कट्टरपंथ और आतंकवाद पर जताई चिंता

जी20 शिखर सम्मेलन  में पीएम मोदी  ने अफगानिस्तान  में कट्टरपंथ और आतंकवाद पर चिंता जताई। उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये संबोधन में अफगानी नागरिकों पर हो रहे अत्याचार पर भी जी20 देशों को कारगर मदद का आह्वान भी किया।

जी20 की अहम बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि अफगानिस्तान को आतंक का गढ़ नहीं बनने देना हमारी वैश्विक जिम्मेदारी है।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एकजुट होकर सुनिश्चित करना होगा कि वहां की जमीन का इस्तेमाल अलगाववादी और आतंकियों को पनाह देने के लिए न हो।

साथ ही वहां के लोगों के मानवाधिकारों और रक्षा के लिए भी प्रयास करने होंगे।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के संकल्प 2593 को अफगानिस्तान के मौजूदा हालात के लिए जरूरी बताते हुए मोदी ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इसके लिए एकजुट होने का आह्वान किया।

भारत की अध्यक्षता में ही 30 अगस्त को यह संकल्प पारित हुआ था। इसमें अफगानिस्तान के नागरिकों के मानवाधिकारों की रक्षा करने और उसकी जमीन का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए नहीं होने देने का संकल्प लिया गया था।

विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर बताया कि पीएम मोदी ने जी20 बैठक में आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त मोर्चे की जरूरत को रेखांकित किया। साथ ही ड्रग्स व हथियारों की तस्करी को लेकर भी चिंता व्यक्त की व अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इसके खिलाफ एकजुट होने की अपील की।

पीएम मोदी ने कहा कि हम अपने साथ-साथ दूसरों के भी अधिकारों की चिंता करें, दूसरों के अधिकारों को अपना कर्तव्य बनाएं और हर किसी के साथ ‘सम भाव’ व ‘मम भाव’ रखें। उन्होंने कहा कि मानवाधिकार का बहुत ज्यादा हनन तब होता है, जब उसे राजनीतिक चश्मे से देखा जाता है, राजनीतिक नफा-नुकसान के तराजू से तौला जाता है।

पीएम मोदी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एकीकृत अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया तैयार करना होगा ताकि वहां की स्थिति में वांछित बदलाव लाया जा सके। एकजुटता के बगैर वहां कुछ नहीं किया जा सकता है। पीएम मोदी ने अफगानिस्तान में समावेशी प्रशासन का आह्वान करते हुए संयुक्त राष्ट्र की महत्वपूर्ण भूमिका के लिए समर्थन व्यक्त किया।

इसी जी-२० शिखर सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) ने बौद्धिक संपदा अधिकारों (आईपीआर) की छूट और COVID19 महामारी के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में नए व्यापार बाधाओं को दूर करने का आह्वान किया।

गोयल ने वैक्सीन भेदभाव (vaccine differentiation) या COVID पासपोर्ट जैसे नए व्यापार बाधाओं को सक्रिय रूप से हल करने का आह्वान किया, जो गतिशीलता प्रतिबंध लगाते हैं और महत्वपूर्ण सेवाएं प्रदान करने के लिए आवश्यक कर्मियों की आवाजाही को बाधित करते हैं।

इटली के सोरेंटो में जी20 व्यापार मंत्रियों की बैठक से इतर वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के लिए मंगलवार का दिन काफी व्यस्त रहा। उन्होंने भारत की व्यापार स्थिति को आगे बढ़ाने के लिए लगभग 15 मंत्रियों से मुलाकात की और द्विपक्षीय और बहुपक्षीय समझौतों पर बातचीत की है। गोयल ने डीजी डब्ल्यूटीओ, यूएस, यूके, ईयू, ब्राजील, चीन, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, इंडोनेशिया, कनाडा, दक्षिण कोरिया और मैक्सिको से मुलाकात की।

वहीं दूसरी तरफ़ मंगलवार को यूरोपियन यूनियन ने अफगानिस्तान की बिगड़ती हालत को देखते हुए मदद का ऐलान किया। यूरोपियन यूनियन एक बिलियन यूरो की आर्थिक मदद करेगा।

यूरोपियन यूनियन की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने अफगानिस्तान में मानवता पर आई संकट और खराब होती आर्थिक स्थिति पर मदद की अपील करते हुए कहा कि यूनियन मानवता के लिए यह मदद कर रहा है।

उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने कहा कि यह पैसे अफगानिस्तान की मदद के लिए हैं। यह पैसे उन अतंरराष्ट्रीय संगठनों को दिये जाएंगे जो जमीन पर वहां काम कर रहे हैं।

उन्होंने साफ किया कि यह पैसे तालिबान की सरकार को नहीं दिया जाएंगे क्योंकि उन्हें अभी मान्यता नहीं मिली है। लेयेन ने कहा, ‘अफगानिस्तान में मानवता और सामाजिक-आर्थिक स्थिति की रक्षा के लिए हम सभी को वो सबकुछ करना चाहिए जो हम कर सकते हैं। हमें इसे जल्दी करना होगा।’

यूरोपियन यूनियन की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने अपने बयान में जोर देकर कहा कि यह पैसे धीरे तौर पर अफगानिस्तान की मदद के लिए हैं। यह पैसे उन अतंरराष्ट्रीय संगठनों को दिये जाएंगे जो जमीन पर वहां काम कर रहे हैं।

उन्होंने साफ किया कि यह पैसे तालिबान की सरकार को नहीं दिया जाएंगे क्योंकि उन्हें अभी मान्यता नहीं मिली है। उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने कहा, ‘अफगानिस्तान में मानवता और सामाजिक-आर्थिक स्थिति की रक्षा के लिए हम सभी को वो सबकुछ करना चाहिए जो हम कर सकते हैं।

हमें इसे जल्दी करना होगा।’ उन्होंने आगे कहा, ‘तालिबान के साथ किसी भी तरह के सहयोग को लेकर हम अपने शर्तों पर कायम है और बिल्कुल साफ भी हैं। लेकिन तालिबान के इस काम की सजा वहां के लोगों को नहीं मिलनी चाहिए।

बताया जा रहा है कि 1 बिलियन पैकेज का इस्तेमाल अफगानिस्तान के हेल्थ सिस्टम को सुधारने के लिए किया जाएगा। इसके अलावा इसका इस्तेमाल प्रवासी प्रबंधन और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने में किया जाएगा।

-डॉ. म शाहिद सिद्दिकी

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