जयशंकर ने कहा, “बांग्लादेश सबसे बड़ा ट्रेड भागीदार”, तो मोमेन बोले, “ भारत हमारा सबसे अहम पड़ोसी”

नई दिल्ली, १९ जून। भारत और बांग्लादेश के बीच रविवार को नई दिल्ली में संयुक्त सलाहकार आयोग (जेसीसी) की 7वीं बैठक हुई। जेसीसी की सह-अध्यक्षता विदेश मंत्री एस. जयशंकर और बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमेन ने की।दिल्ली में आयोजित भारत और बांग्लादेश के बीच संयुक्त सलाहकार आयोग (जेसीसी) के 7वें दौर की बैठक में एस. जयशंकर ने कहा कि आज बांग्लादेश हमारा क्षेत्र में सबसे बड़ा विकासशील और ट्रेड भागीदार है। हमें खुशी है कि बांग्लादेश का निर्यात इस साल दो गुना हुआ है।

जेसीसी की 7वीं बैठक के दौरान भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि हम बांग्लादेश के साथ नए क्षेत्र में अपने संबंधों को बढ़ाना चाहते हैं जिसमें AI, साइबर सिक्योरिटी, स्टार्टअप, फिनटेक शामिल हैं। हम दोनों देशों के बीच रेलवे नेटवर्क को उन्नत करने के लिए काम कर रहे हैं।

फोटो: ‘ज्वाइंट कंसल्टेटिव कमीशन’ यानि संयुक्त सलाहकार आयोग (जेसीसी) की बैठक

वहीं, भारत और बांग्लादेश के बीच संयुक्त सलाहकार आयोग के सातवें दौर की बैठक में बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमेन ने कहा कि भारत बांग्लादेश का सबसे नजदीकी और सबसे महत्वपूर्ण पड़ोसी है। एके अब्दुल मोमेन ने कहा कि दोनों देशों ने क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता का माहौल स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि पिछले 50 साल में भारत और बांग्लादेश के महान संबंध रहे हैं। परन्तु अगले 50 साल में ये संबंध और बेहतर हो सकते हैं, इसके लिए हम संयुक्त तौर पर प्रयास कर रहे हैं।

जेसीसी में कोविड -19 के मद्देनजर सहयोग, सीमा प्रबंधन और सुरक्षा, व्यापार और निवेश, कनेक्टिविटी, ऊर्जा, जल संसाधन, विकास साझेदारी और क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मुद्दों सहित द्विपक्षीय संबंधों के सभी पहलुओं की समीक्षा हुई। दोनों पड़ोसी देश 4,096 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करते हैं। बांग्लादेश और भारत भी सार्क, बिम्सटेक और राष्ट्रमंडल के सदस्य हैं। गौरतलब है कि कोविड -19 महामारी की शुरूआत के बाद से यह जेसीसी की पहली आमने-सामने की बैठक रही। इससे पहले इसे वर्चुअली 2020 में आयोजित किया गया था।

इससे पहले विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक ट्वीट में कहा था कि बांग्लादेश के विदेश मंत्री डॉ एके अब्दुल मोमेन को दिल्ली आने पर हार्दिक बधाई। वह रविवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ संयुक्त सलाहकार आयोग की सातवीं बैठक की सह-अध्यक्षता करेंगे। दोनों मंत्री जेसीसी की सह-अध्यक्षता करेंगे. यह कोरोना महामारी के प्रकोप के बाद से जेसीसी की पहली इन-पर्सन बैठक होगी। पिछली बैठक वस्तुतः 2020 में आयोजित की गयी थी। विदेश मंत्रालय ने कहा, जेसीसी कोविड-19 के मद्देनजर सहयोग, सीमा प्रबंधन और सुरक्षा, व्यापार और निवेश, कनेक्टिविटी, ऊर्जा, जल संसाधन, विकास साझेदारी और क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मुद्दों सहित द्विपक्षीय संबंधों के सम्पूर्ण पहलुओं की समीक्षा करेगी।

मालूम हो कि दोनों देश द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के लिए सहयोग परियोजनाओं में सक्रिय रूप से शामिल हैं। भारत-बांग्लादेश रक्षा सहयोग के हिस्से के रूप में, भारत और बांग्लादेश की सेनाओं ने हाल ही में बांग्लादेश में 5 जून से 16 जून तक संयुक्त सैन्य अभ्यास के 10वें संस्करण का आयोजन किया था।

दरअसल, जेसीसी दोनों देशों के बीच समग्र संबंधों का जायजा लेने और विभिन्न क्षेत्रों में किए जा रहे कार्यों की व्यापक समीक्षा के लिए थी। यह रिश्ते के अगले चरण की योजना बनाने में भी मदद करेगा’। इस बैठक से पहले भारत और बांग्लादेश के नेताओं ने संबंधों की वर्तमान स्थिति को “सुनहरा अध्याय” बताया और कहा- दोनों पक्षों के शीर्ष नेतृत्व के बीच संबंध बहुत करीबी हैं। बैठक से पहले एक साक्षात्कार में बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमेन ने कहा था कि दोनों देशों ने कई कनेक्टिविटी पहल भी शुरू की हैं, विशेष रूप से रेल लिंक का पुनरुद्धार जो 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध और नदी मार्गों से टूट गए थे जो भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के लिए बांग्लादेशी बंदरगाहों तक पहुंच प्रदान करते हैं।

हालाँकि, बांग्लादेशी पक्ष द्वारा तीस्ता नदी के पानी के बंटवारे के लिए एक अंतरिम समझौते को अंतिम रूप देने की अपनी लंबे समय से चली आ रही मांग को लाने की उम्मीद थी, जिसका ज़िक्र जेसीसी बैठक में हुआ। इससे पहले मामले से परिचित लोगों ने कहा कि, दोनों पक्षों द्वारा छह अन्य संयुक्त नदियों – मनु, मुहुरी, खोवाई, गुमटी, धरला और दूधकुमार के पानी को साझा करने की व्यवस्था पर जल्द निष्कर्ष निकालने की उम्मीद जताई थी। लेकिन, सातवीं JCC की बैठक आख़िर इतनी ख़ास क्यों थी? आपको बता दें कि, बांग्लादेश में जल्द ही लोकसभा चुनाव होने हैं, लिहाजा शेख हसीना सरकार तीस्ता नदी जल बंटवारे को लेकर जल्द समझौता करना चाहती है, जो बांग्लादेश के लिए अहम चुनावी मुद्दा रहता है। वहीं, गुवाहाटी में NADI सम्मेलन भी भारत और बांग्लादेश के विशेषज्ञों को सीमा पार नदियों के मुद्दे पर चर्चा करने और दोनों सरकारों के लिए सिफारिशें करने के लिए प्रदान करेगा।

-डॉ. म शाहिद सिद्दीक़ी

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