चिदंबरम 4 दिनों तक सीबीआई हिरासत में भेजे गए


सीबीआई की एक विशेष अदालत ने गुरुवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम को आईएनएक्स मीडिया मामले में पूछताछ के लिए सीबीआई की चार दिन की हिरासत में भेज दिया। विशेष न्यायाधीश अजय कुमार कुहार ने यह फैसला सुनाया।

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सीबीआई की एक विशेष अदालत के जज ने फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसके कुछ समय बाद फैसला सुनाया गया।

अदालत ने यह भी कहा कि चिदंबरम के परिवार के सदस्य और उनके वकील उनसे मिलने के लिए स्वतंत्र होंगे।

सीबीआई का प्रतिनिधित्व करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता को हिरासत में लेने की मांग की।

इससे पहले चिदंबरम को सीबीआई मुख्यालय से भारी सुरक्षा के बीच राउज एवेन्यू कोर्ट लाया गया था।

अभियोजन पक्ष ने यह भी दलील दी कि जब उन्हें दस्तावेज दिखाए गए तो चिदंबरम चुप रहे और टाल-मटोल करते रहे। इससे उन्हें आगे और दस्तावेजों का सामना कराए जाने को बल मिला।

मेहता ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश का हवाला दिया, जिसने चिदंबरम को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया और उन्हें आईएनएक्स मीडिया मामले में ‘सरगना’ बताया। मेहता ने कोर्ट मामले की डायरी भी दी, जिससे चिदंबरम को हिरासत में लेने के लिए मजबूत मामला बने। इस दौरान उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला दिया।

अदालत की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने कहा कि जांच में खुलासा हुआ है कि इंद्राणी मुखर्जी द्वारा 50 लाख डॉलर का भुगतान किया गया। इंद्राणी इस मामले में एक सह-आरोपी हैं। लेकिन, सीबीआई द्वारा इसके बारे में सवाल पूछने पर चिदंबरम ने इनकार कर दिया।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता व वकील कपिल सिब्बल ने चिदंबरम की तरफ से पेश होते हुए कहा कि मौजूदा मामले में आरोपी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम को दिल्ली हाईकोर्ट से जमानत मिली है। उन्होंने जोर दिया कि जांच पूरी कर ली गई है, क्योंकि ड्राफ्ट चार्जशीट तैयार कर ली गई है।

सिब्बल ने अदालत के सामने तर्क दिया कि विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) में छह केंद्रीय सचिव शामिल हैं, जिन्होंने तत्कालीन वित्त मंत्री को फाइल की सिफारिश की थी। उन्होंने सीबीआई द्वारा दिए गए दस्तावेजों की विश्वसनीयता पर भी सवालिया निशान खड़ा किया। इस दौरान सिब्बल ने कई दलील पेश करते हुए सीबीआई की हिरासत की मांग का विरोध भी किया।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि चिदंबरम ने महज मंजूरी दी थी, जबकि निर्णय एफआईपीबी के छह सदस्यों द्वारा लिया गया था। उन्होंने इंद्राणी मुखर्जी के बयान के बाद चिदंबरम को सम्मन जारी करने में हुई देरी पर भी सवाल उठाए।

चिदंबरम आईएनएक्स मीडिया को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के लिए एफआईपीबी की मंजूरी देने के आरोपी हैं।

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