गेंदा फूल की खेती कर पारंपरिक खेती से ज्यादा मुनाफा कमा रही झारखंड की महिलाएं

झारखंड सरकार और झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसायटी (जेएसएलपीएस) का महिला सशक्तिकरण को लेकर किया जा रहा प्रयास अब सरजमीं पर दिखने लगा है। इसका सबसे अच्छे उदहारण आज राज्य में गेंदे की फूल की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा कर आत्मनिर्भर बन रही कई महिलाएं है।

स्वयं सहायता समूह से जुड़ी गांव की महिलाएं जो कभी सिर्फ पारंपरिक खेती से जुड़ कर टमाटर, गोभी जैसे सब्जियों की खेती करती थी वह आज सरकार की मदद से गेंदे फूल की खेती कर कई गुना ज्यादा मुनाफा कमा रही है।

चतरा जिले के सिमरिया प्रखंड के शीला गांव की महिला किसान रिंकू देवी पहले टमाटर और फूलगोभी आदि की खेती करती थी लेकिन उससे उन्हे कभी अच्छा लाभ नही मिल पाता था। लेकिन पिछले दो सालों से वह अपने करीब एक एकड़ जमीन में गेंदा फूल की खेती कर रही हैं। इससे उनकी आमदनी कई गुना बढ़ गई है।

एक अधिकारी दावा करते हुए कहा कि राज्य के सात जिलों में 700 से भी ज्यादा स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं 175 एकड़ में गेंदे की खेती कर आत्मनिर्भर बन रही है। हालांकि, पिछले साल की तुलना में किसानों की संख्या में यह मामूली बढ़त है, लेकिन इस साल खेती के तहत क्षेत्र में काफी वृद्धि हुई है।

जेएसएलपीएस की सीईओ नैंसी सहाय कहती हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को आजीविका के कई श्रोतों से जोड़ने का प्रयास जेएसएलपीएस लगातर कर रहा है। इसी कड़ी में गेंदे की खेती को महिला सशक्तिकरण के एक मजबूत स्तंभ के रूप में पेश किया गया है। इस पहल ने महिलाओं को तत्काल आय और कम समय में अपने उत्पाद की बिक्री के लिए ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म भी सुनिश्चित किया है।

चतरा जिले के सिमरिया प्रखंड की रहने वाली किसान रिंकू देवी कहती हैं, मैं पिछले तीन सालों से गेंदे की खेती कर रही हूं। इससे पहले टमाटर और फूलगोभी उगाती थी। गेंदे की खेती बहुत लाभदायक है क्योंकि यह कम निवेश में अच्छी फसल लाभ देता है। इसकी खेती में रोपण और कटाई के बीच किसी भी कड़ी मेहनत की आवश्यकता नहीं होती है।

उन्होंने बताया कि शुरुआत में वे 10 डिसमिल भूमि में गेंदा फूल लगाया और उसे 50 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेच दिया। इस वर्ष उन्हे गेंदे की खेती से 25,000 रुपये प्राप्त होने की उम्मीद है। सिमरिया में रिंकू देवी की तरह ही अन्य किसानों ने प्रखंड में लगभग 9 एकड़ से अधिक भूमि में गेंदे फूल लगा कर अच्छी कमाई कर रहे हैं।

खूंटी के कर्रा प्रखंड के गोविंदपुर की रहने वाली 27 वर्षीय एक अन्य महिला गजाला परवीन भी कहती है, गेंदे की खेती किसी भी अन्य खेती से बेहतर है क्योंकि यह काफी लाभदायक है और इसमें किसी कीटनाशक या उर्वरक की आवश्यकता नहीं होती है। इसके अलावा बाजार को लेकर भी कोई समस्या नहीं है।

गजाला आगे कहती हैं कि गेंदे की खेती के बारे में बताए जाने पर पहले लोग हंसते थे। उन्होंने पहले कभी भी फूलों की खेती से लाभ प्राप्त करते हुए न कभी सुना या देखा था। इसलिए, पहली बार ट्रायल के आधार पर हमने कम जमीन पर खेती किया था लेकिन पहली बार में ही अच्छा मुनाफा मिलने के बाद अब हम बड़े पैमाने पर गेंदे की खेती करने का सोचा है।

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