गंगा की निर्मलता के कारण बीमारी से बचे जवान : मुख्यमंत्री


उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को कहा कि गंगा जी निर्मल हो गई हैं, जिससे एनडीआरएफ के जवान बीमारी से बच गए हैं। मुख्यमंत्री ने शनिवार को किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) में मां शारदालय मंदिर का लोकार्पण किया और प्रांगण में रूद्राक्ष का पौधा भी रोपित किया।

इस दौरान उन्होंने कहा, “बाढ़ के दौरान वह एनडीआरएफ के जवानों के साथ गंगा में भ्रमण कर रहे थे। उस दौरान जवानों ने बताया कि चार साल पहले तक जब गंगा जी में अभ्यास करते थे, तो उनके शरीर पर लाल चकते पड़ जाते थे। गंगा की निर्मलता के कारण आज जवान बीमारी से बच गए हैं।”

मुख्यमंत्री योगी ने कहा, “नमामि गंगे के माध्यम से गंगा जी को निर्मल और अविरल किया गया है। प्रयागराज कुंभ इसका सफल उदाहरण है। इसके लिए हम लोगों को बहुत कुछ करना पड़ा है। कानपुर में प्रतिदिन 140 एमएलडी सीवर गिरता था। गंगा इतनी प्रदूषित हो गई थी कि जलीय जीव नहीं बचे थे। हमारी सरकार ने इस नाले को बंद कर एसटीपी में डायवर्ट किया। वह पानी गंगा जी में नहीं गिरने दिया गया। उसे सिंचाई के लिए खेतों में उपयोग किया गया। जिसके परिणाम स्वरूप कानपुर में आज गंगा जी निर्मल हुई हैं, आज वहां जलीय जीव हैं।”

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि “गोमती नदी को निर्मल और अविरल बनाने के लिए भी लखनऊ के लोगों को प्रयास करना चाहिए। सरकार अपने स्तर पर प्रयास कर रही है, लोगों को भी जागरूक होना होगा। जिससे हम गोमती नदी को उसके पुराने स्वरूप में ला सकते हैं।”

उन्होंने कहा, “आप लोगों को पता होगा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में इंसेफेलाइटिस महामारी बन गई थी। लेकिन स्वच्छ मिशन के माध्यम से हमारी सरकार ने सफाई और जागरूकता का वृहद अभियान चलाया। इसके सकारात्मक परिणाम हम सबके सामने हैं। आज गोरखपुर में इंसेफेलाइटिस के मामले में भारी कमी आई है।”

मुख्यमंत्री ने कहा कि जल की निर्मलता बचाने के लिए केजीएमयू का यह अभिनव प्रयास है। मां शारदा की प्रतिमा और मंदिर के साथ अरोग्यता के देवता भगवान धनवंतरी की प्रतिमा की स्थापना की गई। यह आस्था के साथ-साथ पर्यावरण का भी विषय है।

आदित्यनाथ ने कहा, “केजीएमयू में हर वर्ष बसंत पंचमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान सभी छात्र-छात्राएं, शिक्षक, मां सरस्वती की पूजा करते हैं। बसंत पंचमी के दिन यहां हर साल सरस्वती जी की प्रतिमा लगाई जाती थी, जिसे बाद प्रतिमा को गोमती नदी में विसर्जित किया जाता था। जिससे गोमती का जल प्रदूषित होता था, केजीएमयू द्वारा अब यहां स्थायी तौर पर मां शारदा की प्रतिमा स्थापित की गई है। जिसका फायदा गोमती को भी होगा।”

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