कोरोना और फ्लू संक्रमण की रफ्तार धीमी करने में मददगार हैं ब्रॉकली और पत्तेदार सब्जियां

ब्रॉकली और बंदगोभी, केल तथा ब्रसेल्स स्प्राउट जैसी पत्तेदार सब्जियां कोरोना वायरस और फ्लू के संक्रमण की गति कम करने में कारगर साबित हुई हैं।

जॉन हॉप्किन्स चिल्ड्रेन सेंटर के शोधकर्ताओं के मुताबिक पौधों में पाया जाने वाला रसायन सल्फोराफेन कैंसररोधी प्रभाव के लिये जाना जाता है। यह रसायन कोरोना वायरस को बढ़ने से भी रोकता है।

यही रसायन ब्रॉकली और बंदगोभी, केल तथा ब्रसेल्स स्प्राउट जैसी पत्तेदार सब्जियों में पाया जाता है। नेचर जर्नल कम्युनिकेशंस बायोलॉजी में प्रकाशित शोध रिपोर्ट के अनुसार, शोधकर्ताओं ने परीक्षण के लिये वाणिज्यिक रसायन आपूर्तिकर्ताओं से प्यूरिफाइड सिथेंटिक सल्फोराफेन खरीदा।

वे सल्फोराफेन को पहले कोशिका के संपर्क में लाये और उसके एक-दो घंटे के बाद उस कोशिका को सार्स कोविड-2 और फ्लू के वायरस से संक्रमित किया गया।

शोधकर्ताओं ने पाया कि सल्फोराफेन ने सार्स कोविड-2 के डेल्टा और ओमीक्रॉन वैरिएंट समेत छह स्ट्रेन के बढ़ने की गति को 50 प्रतिशत कम कर दिया। फ्लू वायरस के मामले में भी सल्फोराफेन ने वायरस के दोगुनी होने की गति धीमी कर दी ।

सल्फोराफेन को जब रेमडिसिविर के साथ दिया गया तो भी दोनों तरह के वायरस के बढ़ने की गति 50 फीसदी तक कम हो गयी। शोध टीम में शामिल यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर अल्वारो ऑरडोनेज ने कहा कि सल्फोराफेन दोनों वायरस के खिलाफ एक एंटीवायरस के रूप में काम करने के साथ ही प्रतिरोधक क्षमता को भी नियंत्रित करने में मदद करता है। शोधकर्ताओं ने बाद में यह परीक्षण चूहे पर किया।

उन्होंने पाया कि चूहे के वजन के प्रति किलोग्राम के बराबर 30 मिलीग्राम सल्फोराफेन दिया जाये और उसे फिर कोरोना वायरस से संक्रमित किया जाये तो उसके वजन में कमी आने की गति काफी कम हो जाती है। कोरोना वायरस से संक्रमित होने पर वजन में आमतौर पर साढ़े सात प्रतिशत की कमी आ जाती है।

शोध में यह भी पाया गया कि जिन चूहों को सल्फोराफेन नहीं दिया गया उनकी तुलना में जिन चूहों का पहले ही उपचार किया गया, उनके फेफड़े में वायरल लोड में 17 प्रतिशत और ऊपरी श्वसन नली में वायरल लोड में नौ प्रतिशत की उल्लेखनीय गिरावट आती है। इसके अलावा फेफड़े की क्षति में 29 प्रतिशत की कमी आती है।

सल्फोराफेन फेफड़े की सूजन को कम करने और अधिक सक्रिय प्रतिरोधी क्षमता से कोशिका को बचाने में भी कारगर है। इन कारणों से ही कई कोरोना संक्रमितों ने दम तोड़ा है। शोधकर्ताओं ने लेकिन साथ ही सचेत किया है कि आम लोगों को ऑनलाइन या स्टोर में जाकर सल्फोराफेन का सप्लीमेंट खरीदने की होड़ नहीं लगानी चाहिये।

उन्होंने कहा कि मानव शरीर पर सल्फोराफेन के प्रभाव का अध्ययन जरूरी है और तब ही इसे प्रभावी करार दिया जा सकता है। इसके अलावा इन सप्लीमेंट के निर्माण में जरूरी नियमों की भी कमी है।

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