किसी बॉक्सर से डर नहीं, लेकिन अपनी ताकत पर करना है कामः पंघाल


विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीतने वाले पहले भारतीय पुरुष मुक्केबाज बने अमित पंघाल ने कहा है कि उन्हें लंबे कद के मुक्केबाजों के खिलाफ खेलने में कोई परेशानी नहीं है. उन्होंने कहा कि रियो ओलंपिक से पहले उन्हें अपने पंच की ताकत और बढ़ानी होगी.

पंघाल ने इसी साल अपना भारवर्ग बदला है. इससे पहले वो 48 किलो में उतरते थे लेकिन इस साल वो 52 किलो में उतर रहे हैं.

यह साल पंघाल के लिए अब तक काफी शानदार रहा है. उन्होंने इस साल अप्रैल में 52 किग्रा के ओलंपिक ब्रॉन्ज मेडलिस्ट हु जिंगुआन को हराकर एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था और अब वह विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीतने वाले पहले भारतीय पुरुष मुक्केबाज बने हैं.

पंघाल ने लाइट फ्लाइवेट के 48 किलोग्राम भार वर्ग में पिछले साल एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीता था, लेकिन ओलंपिक में 48 किग्रा भार वर्ग नहीं होने के कारण पंघाल ने उसके बाद 52 किग्रा वर्ग में उतने का फैसला किया क्योंकि 52 किग्रा एक ओलंपिक भार वर्ग है.

पंघाल ने रुस के एकातेरिनबर्ग में हुई विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिन में भाग लेकर स्वदेश लौटने के बाद सोमवार को आईएएनएस से कहा,

“मैंने हमेशा लंबे मुक्केबाजों के साथ अभ्यास किया है. 52 किग्रा में मैं हमेशा छोटा रहता हूं. मैंने अपने से लंबे मुक्केबाज के खिलाफ भी खेला है.”

उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी ताकत और पॉवर में और ज्यादा सुधार करने की जरूरत है. उन्हें फाइनल में रियो ओलम्पिक-2016 में स्वर्ण जीतने वाले उज्बेकिस्तान के शाखोबिदीन जोइरोव से 0-5 से हार का सामना करना पड़ा.

“मुझे लगता है कि अभी मुझे अपनी ताकत और पावर पर और ज्यादा काम करने की जरूरत है. मैंने इसलिए ही 48 किग्रा से 52 किग्रा में खेलने का फैसला किया था. उज्बेकिस्तान के मुक्केबाज काफी मजबूत हैं. फाइनल में मेरा प्रतिद्वंद्वी ओलंपिक चैंपियन था. मैंने अपना शत-प्रतिशत दिया, लेकिन अभी भी कुछ चीजों में सुधार की जरूरत है.”
अमित पंघाल

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