कनाडा: ट्रूडो को बहुमत मिलना मुश्किल

कनाडा के चुनावों में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की एक बार फिर जीत संभव है, लेकिन उनका संसद में बहुमत हासिल कर पाना मुश्किल लग रहा है | क्या चुनावों को समय से पहले कराने का उनका दांव रंग लाएगा? ट्रूडो अल्पमत की सरकार चला रहे हैं जिसकी वजह से वो दूसरी पार्टियों पर निर्भर हैं | इस निर्भरता की वजह से उन्हें अपनी नीतियों पर समझौता भी करना पड़ा है |

पिछले महीने ओपिनियन पोल में वो दूसरी पार्टियों से काफी आगे चल रहे थे, जिसकी वजह से उन्होंने चुनावों को तय समय से दो साल पहले ही कराने का ऐलान कर दिया. उनका कहना था कि उनकी लेफ्ट-ऑफ-सेंटर लिबरल सरकार का कोविड-19 महामारी से निपटने में कैसा प्रदर्शन रहा इस पर जनता की मुहर की जरूरत है. लेकिन चुनाव जल्दी कराने के फैसले से लोग खुश नहीं हुए और धीरे धीरे उन्होंने अपनी बढ़त को गंवा दिया | मजबूत नेतृत्व का लक्ष्य लिबरल रणनीतिकार भी मान रहे हैं कि हाउस ऑफ कॉमन्स की 338 सीटों में से अधिकतर को जीतना मुश्किल होगा |

49-वर्षीय ट्रूडो की सरकार ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ने में रिकॉर्ड दर्जे का ऋण ले लिया | हाल के दिनों में उन्होंने सबके टीकाकरण पर अपना ध्यान केंद्रित किया | वो वैक्सीन को अनिवार्य बनाने में विश्वास रखते हैं जबकि कंजर्वेटिव पार्टी के 48-वर्षीय नेता एरिन ओ’टूल रैपिड टेस्टिंग को वरीयता देते हैं|

19 सितंबर को चुनावी अभियान का आखिरी दिन था और इस दिन ट्रूडो ने पूरे देश में 4,500 किलोमीटर लंबी यात्रा की. उन्होंने ओंटारियो के नियाग्रा फॉल्स में अपने समर्थकों को बताया, “हमें एक स्पष्ट, मजबूत नेतृत्व की जरूरत है जो बिना किसी आना कानी के टीकाकरण को आगे बढ़ाता रहे और हम यही करेंगे | मिस्टर ओ’टूल ऐसा नहीं कर सकते और करेंगे भी नहीं” ट्रुडो अगर वकई बहुमत हासिल नहीं कर पाते हैं तो इससे उनके भविष्य पर सवाल उठेंगे |

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