औद्योगिक उत्पादन जनवरी में 2 फीसदी बढ़ा


देश के लिए अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर अच्छी खबर है. औद्योगिक उत्पादन (IIP) की वृद्धि दर जनवरी में बढ़कर दो फीसदी पर पहुंच गई. एक साल पहले इसी महीने में यह 1.6 फीसदी थी. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की ओर से गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के कमजोर प्रदर्शन की वजह से औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि की रफ्तार सुस्त बनी हुई है. इसके अलावा महंगाई के मोर्चे पर राहत की खबर है. खुदरा महंगाई फरवरी में कम होकर 6.58 फीसदी पर आ गई है.

मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का उत्पादन बढ़ा
आंकड़ों के मुताबिक जनवरी में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का उत्पादन 1.5 फीसदी बढ़ा. एक साल पहले समान महीने में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की वृद्धि दर 1.3 फीसदी थी. इसी तरह बिजली उत्पादन 3.1 फीसदी बढ़ा. जनवरी, 2019 में बिजली क्षेत्र का उत्पादन 0.9 फीसदी बढ़ा था.

जनवरी, 2020 में खनन क्षेत्र की वृद्धि दर 4.4 फीसदी रही. एक साल पहले समान महीने में इस क्षेत्र का उत्पादन 3.8 प्रतिशत बढ़ा था. चालू वित्त वर्ष के पहले दस महीने (अप्रैल, 2019 से जनवरी, 2020) के दौरान औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर घटकर 0.5 फीसदी पर आ गई है. इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में औद्योगिक उत्पादन 4.4 फीसदी बढ़ा था.

खाद्य कीमतों में गिरावट
वहीं, खाद्य कीमतों में नरमी के चलते खुदरा मुद्रास्फीति फरवरी में धीमी पड़कर 6.58 फीसदी पर आ गई. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति जनवरी 2020 में 7.59 फीसदी थी. जबकि फरवरी 2019 में यह आंकड़ा 2.57 फीसदी था. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार फरवरी 2020 में खाद्य क्षेत्र की महंगाई घटकर 10.81 फीसदी रही जो जनवरी में 13.63 प्रतिशत थी.

रिजर्व बैंक की द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों को तय करने में खुदरा मुद्रास्फीति एक अहम कारक होता है. सरकार ने रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति चार फीसदी से नीचे रखने का लक्ष्य दिया है.

देश का चालू खाता घाटा घटकर 0.2 फीसदी हुआ
देश का चालू खाते का घाटा चालू वित्त वर्ष की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में घटकर 1.4 अरब डॉलर पर आ गया. रिजर्व बैंक के गुरुवार को जारी आंकड़ों के अनुसार यह सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 0.2 फीसदी के बराबर है. इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में यह आंकड़ा जीडीपी के 2.7 फीसदी और चालू वित्त वर्ष की इससे पिछली तिमाही में जीडीपी का 0.9 फीसदी था.

केंद्रीय बैंक के आंकड़ों के मुताबिक चालू खाते के घाटे (CAD) में आई इस तेज गिरावट की वजह व्यापार घाटे का नीचे आकर 34.6 अरब डॉलर रहना और सेवाओं के निर्यात में वृद्धि होना है.

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