उत्तराखंड में जल जीवन मिशन के तहत 267.66 करोड़ रुपये की पेयजल आपूर्ति योजनाओं को मंजूरी दी गई। मंजूर की गई सभी 13 जल आपूर्ति योजनाएं, बहु-ग्राम योजनाएं हैं। इनके तहत 23,000 से अधिक ग्रामीण परिवारों को नल जल कनेक्शन प्रदान किया जाएगा।
इस तरह, बीते एक हफ्ते में 9 जिलों के 681 गांवों के लिए 492.90 करोड़ रुपये की पेयजल आपूर्ति योजनाओं को मंजूरी दी गई है। इन योजनाओं से उत्तराखंड के 42,000 परिवार लाभान्वित होंगे।
अब तक राज्य के 15.18 लाख ग्रामीण परिवारों में से 7.43 लाख (49 फीसदी) के पास नल जल आपूर्ति की सुविधा है। 2021-22 में राज्य की योजना 2.64 लाख परिवारों को नल जल कनेक्शन प्रदान करने की है।
केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय का कहना है कि जल जीवन मिशन (जेजेएम) के तहत ग्रामीण परिवारों को नल के जल की आपूर्ति प्रदान करने से संबंधित योजनाओं पर विचार करने और मंजूर करने के लिए राज्य स्तरीय योजना स्वीकृति समिति (एसएलएसएससी) के गठन का प्रावधान है।
एसएलएसएससी, जल आपूर्ति योजनाओं पर विचार करने के लिए एक राज्य स्तरीय समिति के रूप में कार्य करती है। इस समिति में भारत सरकार के राष्ट्रीय जल जीवन मिशन (एनजेजेएम) से एक व्यक्ति को सदस्य के रूप में मनोनीत किया जाता है।
केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के मुताबिक हर घर में स्वच्छ नल के जल की आपूर्ति सुनिश्चित करने और महिलाओं व लड़कियों को घर से अधिक दूर जाकर वहां से पानी लाने के कष्ट से मुक्त करने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सोच को साकार करने के लिए मिशन ने 2021-22 के दौरान उत्तराखंड को अनुदान सहायता के रूप में 360.95 करोड़ रुपये जारी किया है।
इससे पहले केंद्र सरकार ने 2019-20 में जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन के लिए 170.53 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। वहीं, इस साल केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने 1,443.80 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में चार गुना अधिक है।
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने चार गुना बढ़ोतरी को मंजूरी देते हुए दिसंबर, 2022 तक हर ग्रामीण घर में नल जल आपूर्ति प्रदान करने के लिए राज्य को पूरी सहायता करने का आश्वासन दिया था।
15 अगस्त 2019 को जब जल जीवन मिशन की शुरूआत की गई थी, उस समय केवल 1.30 लाख (8.58 फीसदी) परिवारों के पास नल के जरिए पेयजल आपूर्ति की सुविधा थी। इसके बाद पिछले 27 महीनों में कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन के दौरान उत्पन्न बाधाओं का सामना करने के बावजूद राज्य ने 6.13 लाख (40.41 फीसदी) परिवारों को नल जल कनेक्शन प्रदान किया है।
राष्ट्रीय जल जीवन मिशन ने जेजेएम के कार्यान्वयन की गति में तेजी लाने के लिए राज्य से इस साल 2.64 लाख ग्रामीण परिवारों को नल जल की आपूर्ति प्रदान करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का अनुरोध किया है।
इस वर्ष केंद्रीय आवंटन के रूप में 1,443.80 करोड़ रुपये और राज्य सरकार के पास उपलब्ध ओपनिंग बैलेंस (खर्च नहीं की गई रकम) के रूप में 111.22 करोड़ रुपये के अलावा, राज्य का 2021-22 के मिलान हिस्से और पिछले वर्षों में मिलान हिस्से में कमी के साथ उत्तराखंड के पास जेजेएम के कार्यान्वयन के लिए उपलब्ध कुल 1,733 करोड़ रुपये से अधिक की निश्चित निधि है।
इस तरह भारत सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि उत्तराखंड में इस परिवर्तनकारी मिशन के कार्यान्वयन के लिए निधि की कमी न हो।
इसके अलावा, 2021-22 में ग्रामीण स्थानीय निकायों, पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) को जल और स्वच्छता के लिए 15वें वित्त आयोग के सशर्त अनुदान के रूप में उत्तराखंड को 256 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
वहीं, अगले पांच वर्षों यानी 2025-26 तक के लिए सशर्त अनुदान के रूप में 1,344 करोड़ रुपये का वित्त पोषण सुनिश्चित है। इस भारी निवेश के जरिए उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा। वहीं, इससे गांवों में रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
एनजेजेएम की टीम ने प्रभावकारी सामुदायिक योगदान की जरूरत पर जोर दिया है। इसके अलावा राज्य को जल आपूर्ति योजनाओं में सम्मिलन के जरिए धूसर जल प्रबंधन के प्रावधान को शामिल करने की सलाह दी है, क्योंकि यह जल जीवन मिशन का एक काफी महत्वपूर्ण घटक है।
क्षेत्र परीक्षण किट (एफटीके) का उपयोग करके पेयजल स्रोतों और वितरण स्थलों के नियमित व स्वतंत्र परीक्षण के लिए हर गांव में 5 महिलाओं को प्रशिक्षण देकर जल की गुणवत्ता निगरानी संबंधी गतिविधियों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है।
अब तक 38 हजार से अधिक महिलाओं को एफटीके का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया जा चुका है। वहीं, जल परीक्षण प्रयोगशालाओं को उन्नत किया गया गया है और आम जनता के लिए इन्हें खोल दिया गया है, जिससे लोग अपने जल के नमूनों का मामूली दर पर परीक्षण करवा सके।