भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का अधिशेष सरकार को हस्तांतरित करने की सिफारिश के संबंध में केंद्रीय बैंक के पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता वाली समिति ने अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप प्रदान किया। यह जानकारी बुधवार को आधिकारिक सूत्रों ने दी।
सूत्रों के अनुसार, आरबीआई द्वारा सरकार को हस्तांतरित की जाने वाली आरक्षित पूंजी निधि के उचित आकार की जांच करने वाली समिति की रिपोर्ट पर पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने अपनी आपत्ति जाहिर की थी।
मालूम हो कि गर्ग का तबादला वित्त मंत्रालय से ऊर्जा मंत्रालय में हो गया है और उनकी जगह समिति में नए वित्त सचिव राजीव कुमार आ गए हैं।
समिति की बैठक के बाद एक आधिकारिक सूत्र ने बताया, रिपोर्ट को लगभग अंतिम रूप दिया जा चुका है। अब इसके लिए समिति की दूसरी बैठक नहीं होगी। हमने हर विषय पर विचार-विमर्श किया और अब यह अंतिम रिपोर्ट है। तीन से पांच साल के दौरान अधिशेष के हस्तांतरण का फार्मूला पूर्ववत है। अगले कुछ दिनों में रिपोर्ट आरबीआई गवर्नर को सौंपी जाएगी।
सूत्र ने इस बात का खुलासा नहीं किया कि रिपोर्ट में सरकार को आरक्षित निधि की कितनी राशि हस्तांतरित करने की सिफारिश की गई है।
सूत्रों के अनुसार, रिपोर्ट तकरीबन पूरी हो चुकी है और इसके लिए अब समिति की फिर बैठक नहीं होगी।
एक सूत्र ने कहा, यह कहना मुश्किल है कि हस्तांतरण की सही राशि कितनी होगी। हस्तांतरण चरणों में किया जाएगा, जोकि परंपरा है।
उन्होंने बताया कि रिपोर्ट अगले कुछ दिनों में आरबीआई को सौंपी जाएगी।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, समिति में अब इस पर कोई असहमति नहीं है।
आरबीआई की आर्थिक पूंजी रूपरेखा (ईसीएफ) की समीक्षा के लिए दिसंबर 2018 में बिमल जालान की अध्यक्षता में छह सदस्यों की एक समिति गठित की गई थी।