अस्थमा की रोकथाम करें, सांस लेने में दर्द न हो

इसके लक्षण घरघराहट, सांस की तकलीफ, सीने में जकड़न, खांसी आदि होते हैं।

विश्व चिकित्सा जगत का समान विचार है कि अस्थमा चार जिद्दी रोगों में से एक है और मृत्यु के 10 कारणों में पहले स्थान पर है। इससे पहले विकासशील देशों में अस्थमा पड़ने की दर ऊंची नहीं थी, लेकिन पर्यावरण, आर्थिक और मानवीय कारकों में परिवर्तन की वजह से हाल के वर्षो में बिमारियों की संख्या बढ़ रही है।

अनुमान है कि दुनिया में हर 20 लोगों में से एक अस्थमा से ग्रस्त है। दुनिया में अस्थमा से पीड़ित लोगों की संख्या 30 करोड़ से अधिक है, जिसमें चीनी बिमारियों की संख्या लगभग 3 करोड़ है। अस्थमा की जानकारी का कम होना और समय पर इलाज नहीं करवाना अस्थमा होने का मुख्य कारण है।

अस्थमा लोगों के स्वास्थ्य पर बड़ा नुकसान पहुंचाता है। पड़ने के बाद काम की क्षमता कमजोर होगी और जीवन की गुणवत्ता खराब होगी। इसलिए अस्थमा की रोकथाम आवश्यक है। लोगों में अस्थमा की जानकारी बढ़ाने और रोकथाम मजबूत करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हर मई के पहले मंगलवार को विश्व अस्थमा दिन तय किया।

कोविड-19 महामारी फैलने की स्थिति में अस्थमा मरीज रोकथाम के मुख्य लक्ष्य बने। कोरोना वायरस फेफड़े को बड़ा नुकसान पहुंचाता है, इसलिए अस्थमा मरीजों को अपने स्वास्थ्य पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। मरीजों को नियमित समय पर दवा लेना पड़ता है और श्वसन लक्षण आने के बाद शीघ्र ही अस्पताल में जाना चाहिए।

अस्थमा की रोकथाम पूरे समाज की भागीदारी होनी चाहिए। डॉक्टरों को मानकीकृत उपचार करना चाहिए और मरीजों को उचित से दवा लेनी चाहिए, ताकि अस्थमा पर नियंत्रण हो सके।

आशा है कि विश्व अस्थमा दिन के सिलसिलेवार गतिविधियों से जरिए लोग समझ सकेंगे कि अस्थमा वैश्विक स्वास्थ्य मामला है। इसके कारगर इलाज में नागरिकों और सरकारों की भागीदारी की जरूरत है, ताकि अस्थमा पड़ने से बच सके।

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