काबुल, २२ जून। बुधवार को आए भीषण भूकंप से पूर्वी अफगानिस्तान के पाकटीका प्रांत के चार जिलों बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। अमेरिकी जिओलॉजिकल सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक रिक्टर पैमाने पर ६.१ की तीव्रता वाले इस भूकंप का केंद्र दक्षिणी-पूर्वी अफगानिस्तान के खोस्त शहर से ४४ किमी दूर था।ख़बर के मुताबिक इस भूकंप में मरने वालों की संख्या १००० के पार पहुंच गई है और १५०० से ज़्यादा लोगों के घायल होने की ख़बर है। अधिकारियों ने आशंका जताई कि मृतक संख्या और बढ़ सकती है।
देश की सरकारी समाचार एजेंसी (बख़्तर) ने एक खबर में यह जानकारी दी। देश में दशकों में आया यह सर्वाधिक विनाशकारी भूकंप है। पाकिस्तान की सीमा के पास एक ग्रामीण पर्वतीय क्षेत्र में आए 6.1 तीव्रता वाले भूकंप से हुए नुकसान के बारे में फिलहाल अधिक विवरण प्राप्त नहीं हो सका है, लेकिन इतने शक्तिशाली भूकंप से दूर-दराज के इलाकों में गंभीर नुकसान होता है, जहां घर और अन्य इमारतें अधिक मजबूत नहीं बनी हुई हैं और भूस्खलन होना आम बात है।
विशेषज्ञों ने भूकंप के केंद्र की गहराई महज १० किमी बताई है, जो इससे हुए विनाश का दायरा बढ़ा सकता है। यह आपदा देश पर ऐसे समय में आई है, जब अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद तालिबान के देश को अपने नियंत्रण में लेने के मद्देनजर अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने अफगानिस्तान से दूरी बना ली है। इस स्थिति के कारण ३.८ करोड़ की आबादी वाले देश में बचाव अभियान को अंजाम देना काफी मुश्किल भरा होने का अंदेशा है।
इस आपदा ने तालिबान नीत सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती पेश की है, जिसने पिछले साल सत्ता पर कब्जा कर लिया था। बचावकर्मी हेलीकॉप्टर से मौके पर पहुंचे, लेकिन कई अंतरराष्ट्रीय सहायता एजेंसियों के अफगानिस्तान से चले जाने के कारण इसमें दिक्कत आने की संभावना है।
अफगानिस्तान में सर्वश्रेष्ठ परिस्थितियों में भी ग्रामीण इलाकों में पहुंचने में मुश्किल होती है और भूकंप से पर्वतीय क्षेत्र की सड़कों को काफी नुकसान पहुंचा है। इन परिस्थितियों के मद्देनजर तालिबान सरकार के एक अधिकारी ने अंतरराष्ट्रीय मदद मांगी है। अफगानिस्तान की आपात सेवा के अधिकारी सराफुद्दीन मुस्लिम ने कहा, ‘किसी देश में जब इस तरह की कोई बड़ी आपदा आती है, तब अन्य देशों की मदद की जरूरत पड़ती है।” पड़ोसी देश पाकिस्तान के मौसम विभाग ने कहा कि भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान के पक्तिका प्रांत में खोस्त शहर से करीब ५० किमी दक्षिण-पश्चिम में था।
खोस्त प्रांत में इमारतों को भी नुकसान पहुंचा है. भूकंप के झटके ३७५ किमी दूर पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में भी महसूस किए गए। पक्तिका से प्राप्त फुटेज में यह देखा जा सकता है कि लोग कंबल में लपेट कर घायलों को हेलीकॉप्टर तक पहुंचा रहे हैं। अन्य का इलाज जमीन पर किया जा रहा है। बख्तर समाचार एजेंसी ने मृतक संख्या (१०००) बताई है, यह २००२ में उत्तरी अफगानिस्तान में आए भूकंप के बराबर है।
आंतरिक मंत्रालय के अधिकारी सलाहुद्दीन अयूबी ने कहा कि अधिकांश मौतों की पुष्टि पूर्वी अफगान प्रांत पक्तिका में हुई, जहां २५५ लोग मारे गए थे और २०० से अधिक घायल हुए थे. उन्होंने कहा कि खोस्त प्रांत में २५ लोग मारे गए और ९० को अस्पताल ले जाया गया। अधिकारियों का बचाव अभियान जारी है। घायलों तक पहुंचने और चिकित्सा आपूर्ति और भोजन लेने के लिए हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल किया जा रहा है. यूरोपीय भूकंपीय एजेंसी ‘यूरोपीय भूमध्यसागरीय भूकंप केंद्र’ (ईएमएससी) ने ट्विटर पर कहा कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और भारत में लगभग ११ करोड़ ९० लाख लोगों ने झटके महसूस किए।
अफगानिस्तान के उत्तर-पूर्वी इलाके और उत्तरी पाकिस्तान में २०१५ में आए भूकंप में २०० से अधिक लोग मारे गए थे। वहीं, १९९८ में अफगानिस्तान के उत्तर-पूर्वी इलाके में ६.१ की तीव्रता वाले भूकंप में कम से कम ४५०० लोग मारे गए थे। अमेरिकी भूगर्भ सर्वेक्षण के भूकंप विज्ञानी रॉबर्ट सेंडर्स ने कहा कि विश्व के ज्यादातर स्थानों पर इतनी तीव्रता के भूकंप से काफी तबाही होती है।
उन्होंने कहा, ‘पर्वतीय क्षेत्र होने के कारण भूस्खलन भी होने की आशंका है जिसके बारे में खबर आने तक हम कुछ नहीं कह सकते. पुरानी इमारतों के ढहने की आशंका है।’ तालिबान अब भी सरकार के मंत्रालयों को पुनगर्ठित करने की कोशिश कर रहा है और फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि अधिकारी सरकारी समाचार एजेंसी द्वारा बताई गई इतनी अधिक मृतक संख्या तक कैसे पहुंचे।
काबुल में प्रधानमंत्री मोहम्मद हसन अखुंद ने पक्तिका और खोस्त में भूकंप पीड़ितों के लिए राहत कोशिशों में समन्वय के वास्ते राष्ट्रपति भवन में एक आपात बैठक बुलाई है। तालिबान सरकार के उप-प्रवक्ता बिलाल करीमी ने ट्विटर के जरिये इलाके में बचाव दल भेजने की सहायता एजेंसियों से अनुरोध किया। अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के समन्वयक रमीज अकबारोव ने ट्वीट किया, ‘सहायता पहुंचने को है।’ पिछले साल काबुल की सत्ता पर तालिबान के कब्जा कर लेने के बाद कई अंतरराष्ट्रीय सहायता एजेंसियों और देश के सबसे लंबे युद्ध से अमेरिकी सैनिकों के वापस चले जाने के बाद बचाव अभियान में मुश्किलें आने की संभावना है।
पिछले साल तालिबान के अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा करने के बाद से उसने काबुल और देश के अन्य स्थानों पर हवाईअड्डों को फिर से शुरू करने के लिए काम किया है, लेकिन लगभग सभी अंतराष्ट्रीय एयरलाइन अब भी अफगानिस्तान के लिए उड़ान भरने से कतराती हैं। साथ ही, राहत सहायता एजेंसियों के द्वारा तालिबान सरकार के खजाने में धन डालने के प्रति अनिच्छुक रहने से सहायता सामग्री एवं उपकरण भेजने में दिक्कत होगी।
बख़्तर समाचार एजेंसी के महानिदेशक अब्दुल वाहिद रयान ने ट्विटर पर बताया कि पक्तिका में ९० मकान नष्ट हो गए हैं और दर्जनों लोगों के मलबे में फंसे होने की आशंका है। उन्होंने बताया कि अफगान रेड क्रीसेंट सोसाइटी ने करीब ४००० कंबल, ८०० तंबू और ८०० किचन किट प्रभावित इलाकों को भेजी हैं। अफगानिस्तान में अब भी संचालित हो रही इतालवी मेडिकल सहायता समूह ‘इमरजेंसी’ ने बताया कि उसने सात एंबुलेंस और चिकित्सा कर्मी भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में भेजे हैं।
अफगानिस्तान में इमरजेंसी के ‘कंट्री डायरेक्टर’ स्तेफानो सोजा ने कहा, ‘यह आशंका है कि मृतकों की संख्या बढ़ सकती है, क्योंकि कई लोग ध्वस्त हो गए भवनों के मलबे में दबे होंगे।’ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने एक बयान में भूकंप से मची तबाही पर संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि उनका देश अफगानिस्तान के लोगों को सहायता प्रदान करेगा।
वेटिकन में पोप फ्रांसिस ने भूकंप में मारे गए लोगों और घायलों के लिए प्रार्थना की। यूरोपीय भूकंप विज्ञान एजेंसी के अनुसार, भूकंप के झटके ५०० किमी से अधिक क्षेत्र में अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत में महसूस किए गए।
अफगानिस्तान का पर्वतीय क्षेत्र और हिंदुकुश पर्वत से लगे दक्षिण एशिया के क्षेत्र लंबे समय से विनाशकारी भूकंप का सामना कर रहे है।
इधर, पाकिस्तान के कई हिस्सों में बीती रात ६.१ तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए जिससे खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत में एक व्यक्ति की मौत हो गई। स्थानीय मीडिया ने यह जानकरी दी। पाकिस्तान मौसम विज्ञान विभाग (पीएमडी) के अनुसार, भूकंप अफगानिस्तान में खोस्त से ४४ किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में ५०.८ किलोमीटर की गहराई पर केंद्रित था. भूकंप देर रात स्थानीय समयानुसार एक बजकर ५४ मिनट पर आया। पेशावर, इस्लामाबाद, लाहौर के साथ ही पंजाब और खैबर-पख्तूनख्वा के अन्य हिस्सों में भूकंप के झटके महसूस किए गए। खैबर-पख्तूनख्वा में भूकंप के झटके की वजह से एक घर की छत गिरने से एक व्यक्ति की मौत होने की खबर है।
एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार ने पुलिस के हवाले से कहा कि छत गिरने से स्थानीय फुटबॉल टीम के सदस्य लक्की मारवात की मौत हो गई, जो अपने घर में सोए हुए थे। भूकंप के झटकों से दहशत फैल गई और लोग जान बचाने के लिए खुले स्थानों की ओर भागने लगे। पाकिस्तान भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र में स्थित है और अक्सर यहां भूकंप आता रहता है. एक सप्ताह के भीतर आया यह दूसरा भूकंप है। १७ जून को देश में ५.२ तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. देश में २००५ में एक भीषण भूकंप में ७४,००० से अधिक लोगों की मौत हो गई थी।
भारत ने अफगानिस्तान के पूर्वी पक्तिका प्रांत में आए शक्तिशाली भूकंप में काफी संख्या में लोगों के मारे जाने पर बुधवार को शोक प्रकट किया और जरूरत की इस घड़ी में अफगानिस्तान के लोगों को सहायता एवं समर्थन देने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ट्वीट किया, ‘भारत, अफगानिस्तान में आए भयावह भूकंप के पीड़ितों एवं उनके परिवारों तथा इससे प्रभावित होने वाले सभी लोगों के प्रति शोक एवं सहानुभूति प्रकट करता है।’ उन्होंने कहा कि हम अफगानिस्तान के लोगों की पीड़ा को साझा करते हैं और इस जरूरत की घड़ी में उन्हें सहायता एवं समर्थन देने की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हैं।
हालाँकि इससे पहले भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट के ज़रिए दुख जताया है। उन्होंने कहा- “अफगानिस्तान में भूकंप की खबर से गहरा दुख हुआ। जान गंवाने वाले लोगों के प्रति मेरी गहरी संवेदना है। भारत हर संभव आपदा राहत सामग्री जल्द से जल्द उपलब्ध कराने को तैयार है।”
-डॉ. म शाहिद सिद्दीक़ी
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