अफगानिस्तान राष्ट्रपति चुनाव: तालिबान जैसी सरकार ना आए, इसलिए महिलाएं करेंगी वोट


इस डर से कि कहीं देश में तालिबान जैसी कट्टरपंथी सरकार न लौट आए, अफगानिस्तान की कई महिलाएं 2001 में इस्लामी शासन के ध्वस्त होने के बाद उन्हें काफी मेहनत से हासिल हुए अधिकारों की रक्षा के लिए वे आगामी राष्ट्रपति चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

एफे न्यूज के शनिवार की रिपोर्ट के मुताबिक, कार्यकतार् मुकादसा अहमदजई (25), उस समय एक बच्ची थीं, जब 1996 से लेकर पांच सालों तक तालिबान ने देश पर शासन किया था। वह नागंरहार में महिलाओं के लिए काम करती हैं, जो कि उन सबसे खतरनाक प्रांतों में से एक है जहां तालिबान और इस्लामिक स्टेट आतंकवादी समूहों का काफी बड़े इलाकों पर कब्जा है।
अहमदजई ने पिछले 18 सालों में हुई विकास के बारे में बात करते हुए एफे से कहा, ‘आज महिलाएं शिक्षिका, डॉक्टर, पायलट हैं, उन्हें ड्राइविंग, चुनाव में हिस्सा लेने, और अपने नागरिक और बुनियादी अधिकारों के लिए आवाज उठाने का अधिकार है।’

उन्होंने कहा, कि इसके विपरीत तालिबान शासन में ‘महिलाओं को मार डाला जाता था, बुकार् न पहनने के लिए सार्वजनिक रूप से कोड़े मारे जाते थे, स्कूलों को खाली करा दिया जाता था और अस्पताल तबाह कर दिए जाते थे।’
उन्होंने कहा, ‘हालांकि, महिलाओं के सामने अभी भी चुनौतियां हैं, लेकिन हमने जो प्रगति की है वह उल्लेखनीय है।’

अब महिलाएं प्रशासनिक सेवा के 27 प्रतिशत पदों पर काबिज हैं, और उनमें से दर्जनों सरकार में वरिष्ठ पदों पर हैं या देश में मंत्री या राजदूत हैं जहां 90 लाख से अधिक स्कूली छात्रों में से 39 प्रतिशत लड़कियां हैं।

उन्होंने कहा, ‘महिलाओं को अपनी उपलब्धियों की रक्षा करने के लिए और अपने अधिकारों की सुरक्षा के लिए आगामी चुनाव में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए और एक ऐसा राष्ट्रपति चुनना चाहिए जो शांति वातार्ओं में तालिबान के खिलाफ उनके अधिकारों की सचमुच रक्षा कर सके।’

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