अग्निपथ योजना के खिलाफ पंजाब विधानसभा ने पारित किया प्रस्ताव

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में पंजाब विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से देश के व्यापक हित में अग्निपथ योजना को वापस लेने का आग्रह किया।

भाजपा के दो सदस्यों के विरोध के बीच सदन में एक प्रस्ताव पेश करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत सरकार द्वारा सशस्त्र बलों में अग्निपथ योजना शुरू करने की एकतरफा घोषणा की, जिसके बाद पंजाब सहित पूरे देश में व्यापक प्रदर्शन हुए।

उन्होंने कहा, पंजाब विधानसभा को ²ढ़ता से लगता है कि जिस योजना में युवाओं को केवल चार साल की अवधि के लिए सशस्त्र बलों में नियुक्त किया जाएगा और जिसमें से केवल 25 प्रतिशत को ही रखा जाएगा, ना तो राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में है और ना ही इस देश के युवाओं के हित में है।

मान ने आगे कहा, इस नीति से उन युवाओं में असंतोष पैदा होने की संभावना है, जो जीवन भर राष्ट्र के सशस्त्र बलों की सेवा करना चाहते हैं।
मुख्यमंत्री ने सदन को याद दिलाया कि पंजाब के एक लाख से अधिक सैनिक सशस्त्र बलों की सेवा करते हैं और उनमें से बड़ी संख्या में हर साल देश की सीमाओं की रक्षा करते हुए अपनी मातृभूमि की वेदी पर अपने प्राणों की आहुति देते हैं।

उन्होंने सदन को अवगत कराया कि पंजाब के युवा, जो अपनी वीरता और साहस के गुणों के लिए दुनिया भर में जाने जाते हैं। सशस्त्र बलों में शामिल होकर अपनी मातृभूमि की सेवा करना उनके लिए गर्व और सौभाग्य की बात है।

हालांकि, मान ने अफसोस जताया कि इस योजना ने पंजाब के कई युवाओं की महत्वाकांक्षाओं को कुचल दिया है, जो नियमित सैनिकों के रूप में सशस्त्र बलों में शामिल होने के इच्छुक हैं।
मुख्यमंत्री ने कल्पना की कि इस योजना में सशस्त्र बलों की लंबे समय से चली आ रही भावना को कमजोर करने की प्रवृत्ति भी है। मुख्यमंत्री द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव में कहा, विधानसभा केंद्र सरकार से अग्निपथ योजना को तुरंत वापस लेने का आग्रह करती है।

इस बीच, इस कदम के लिए भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार पर निशाना साधते हुए, मुख्यमंत्री ने भाजपा नेताओं को इस युवा विरोधी कदम का समर्थन करने से पहले अपने ही बेटों को अग्निवीर के रूप में नामांकित करने की चुनौती दी।

उन्होंने कहा कि जो लोग इस कदम की वकालत कर रहे हैं, वे इस योजना के तहत अपने बेटों को पहले सेना में भेजकर एक मिसाल कायम करें।
मान ने कहा कि इस तरह उन्हें नए युवा अग्निवीर मिलेंगे जो चार साल की सेवा के बाद अपने नेताओं को उनके कार्यालय में सलामी देंगे।

मुख्यमंत्री ने भाजपा नेताओं से यह बताने को कहा कि देश अपने घुसपैठियों और दुश्मनों का मुकाबला किराए की सेना से कैसे करेगा।
उन्होंने उन्हें आगाह किया कि यह कदम आने वाले समय में देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए घातक साबित होगा।

प्रस्ताव का विरोध करते हुए भाजपा सदस्य अश्विनी शर्मा ने कहा कि यह कुछ और नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा पर राजनीति कर रहे हैं। योजना की गलत व्याख्या की गई। इसका उद्देश्य युवाओं में अनुशासन, कौशल और देशभक्ति पैदा करना है।

कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि अग्निपथ योजना खतरे से भरी है। सेना के अधिकांश सेवानिवृत्त अधिकारी इस योजना का विरोध कर रहे हैं।

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