होटल रवांडा’ फिल्म का नायक बन गया ‘आतंकवादी’, बचाई थी सैकड़ों की जान

साल 2004 में एक फिल्म आई, नाम था ‘होटल रवांडा’। लोगों ने फिल्म को खूब सराहा और फिल्म ऑस्कर अवॉर्ड के लिए नॉमिनेट हो गई। रवांडा में हुए 1994 के नरसंहार पर बनी इस फिल्म में एक होटल मैनेजर की कहानी थी। फिल्म के ‘हीरो’ का किरदार रवांडा के से प्रेरित था।

आज 17 साल बाद समय बदल चुका है। जिस शख्स को दुनिया ने हीरो की तरह स्वीकार किया था आज वह जेल जाने के लिए तैयार है। कभी होटल मैनेजर रहे पॉल को अदालत ने 25 साल जेल की सजा सुनाई है। उन आतंकवादी हमलों के लिए जिम्मेदार समूह का हिस्सा होने के आरोप लगे हैं।

अदालत ने सोमवार को अपना फैसला सुनाया और पॉल ने इसे अस्वीकार कर दिया। उन्होंने कहा कि इस केस को ‘दिखावा’ करार देते हुए कहा कि उन्हें न्याय की उम्मीद नहीं थी।

करीब 67 साल के पॉल के बुरे दिन 2020 में शुरू हुए। उन्हें दुबई से गिरफ्तार किया गया था, जिसे उन्होंने रवांडा अधिकारियों द्वारा किया गया ‘अपहरण’ बताया। तभी से यह मामला एक हाई प्रोफाइल केस रहा है।

उन पर का समर्थन करने के आरोप लगाए गए हैं। यह विपक्ष की एक हथियारबंद शाखा है जिसने 2018 और 2019 में देश के दक्षिणी हिस्से में हुए हमलों की जिम्मेदारी ली थी जिसमें रवांडा के नौ नागरिकों की मौत हो गई थी।

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वकीलों ने मांगी थी उम्रकैद

फैसला सुनाते हुए जस्टिस ने स्पष्ट किया, ‘उन्होंने एक आतंकवादी संगठन की स्थापना की और आतंकवादी गतिविधियों में आर्थिक योगदान दिया। इस संगठन ने देश पर हमला किया।’ रवांडा के सरकारी वकीलों ने पॉल के लिए उम्रकैद की मांग की थी। कहा जाता है कि उन्होंने 1994 के नरसंहार में 1200 से अधिक लोगों की जान बचाई थी। जज ने कहा कि यह उनकी पहली सजा है इसलिए इसे कम करके 25 साल किया जाना चाहिए।

सरकार के खिलाफ उठाई आवाज

फिल्म ‘होटल रवांडा’ में अपने किरदार को हीरो के रूप में देखकर पॉल के व्यक्तित्व में काफी बदलाव आया। वह अब पहले से ज्यादा मशहूर हो चुके थे।

धीरे-धीरे वह रवांडा के राष्ट्रपति के प्रमुख आलोचक के रूप में उभरकर सामने आए। फिल्म में उनका किरदार अमेरिकी अभिनेता ने निभाया था। अल जजीरा से बात करते हुए पॉल की बेटी कैराइन कनिम्बा ने कहा कि उनके पिता को रिहा कर दिया जाना चाहिए और उन्हें घर लौटने की अनुमति देनी चाहिए।

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अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन

उन्होंने कहा, ‘इस केस का हमारे लिए कोई मतलब नहीं है। हमारे पिता का अपहरण किया गया था। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करते हुए अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के पार से घसीटकर लाया गया।’ कनिम्बा ने कहा, ‘मेरे पिता जानते हैं कि उनके अधिकारों का हनन हुआ है। इसलिए उन्होंने इस मुकदमे को खारिज किया क्योंकि यह सब राजनीतिक है।’ उन्होंने अपने पिता को एक ‘राजनीतिक कैदी’ बताते हुए कहा कि सभी आरोप पूरी तरह से झूठे हैं।

जेल में हो सकती है मौत

बेटी ने कहा कि उनका परिवार पॉल के स्वास्थ्य को लेकर बेहद चिंता में है और उन्हें डर है कि जेल में उनकी मौत हो सकती है। उन्होंने कहा कि हर शुक्रवार उनसे फोन पर बात करने के लिए हमारे पास पांच मिनट होते हैं।

फोन पर वह घबराए हुए लगते हैं। उनकी आवाज से लगता है कि जेल के अधिकारी उन पर दबाव बना रहे हैं ताकि वह वे बातें न कर पाएं जो वह कहना चाहते हैं। कनिम्बा का कहना है कि फोन कॉल बहुत छोटा होता है। मेरे पिता भावनात्मक रूप से बहुत मजबूत हैं लेकिन उनके शारीरिक स्वास्थ्य को लेकर हम बहुत डरे हुए हैं।

विपक्ष के लिए चेतावनी

रवांडा पर हाल ही में एक किताब लिखने वाली लेखिका  ने अल जजीरा को बताया कि यह फैसला विपक्ष के लिए साफतौर पर एक संकेत है। उन्होंने कहा कि यह मुकदमा एक इशारा था, जिसका उद्देश्य असहमतियों को दबाना और यह सुनिश्चित करना था कि जो कोई भी राष्ट्रपति कागामे के खिलाफ खड़ा होगा, उनकी आलोचना करेगा और उन्हें चुनौती देगा तो उसे ऐसा नहीं करने दिया जाएगा।

लेखिका का कहना है कि कागामे की सरकार को दो साल तक चुनौती देने के बाद पॉल को निशाना बनाया गया, यह सभी प्रवासियों के लिए एक चेतावनी है।

बहादुरी के लिए मिला था अमेरिकी सम्मान

बेल्जियम के नागरिक और अमेरिकी निवासी पॉल को नरसंहार के दौरान अपने प्रयासों के लिए  से सम्मानित किया गया था। पॉल रुसेसाबैगिना ने अपने खिलाफ लगे सभी आरोपों को खारिज किया है।

उनके समर्थकों ने कोर्ट के इस फैसले को विपक्ष के साथ कागामे की क्रूर व्यवहार का जीता-जागता उदाहरण बताया।

रवांडा की सरकार ने कहा था कि पॉल के साथ न्याय होगा लेकिन सरकार के रवैये को लेकर अंतरराष्ट्रीय चिंताएं भी बढ़ गई थीं। दिसंबर में 36 अमेरिकी सीनेटरों ने कागामे को पत्र लिख अपील पॉल रुसेसाबैगिना को रिहा करने की अपील की।

बचाई थी सैकड़ों की जान

‘होटल रवांडा’ के बाद पॉल एक वैश्विक हस्ती बन गए थे। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे 100 दिनों के नरसंहार के दौरान रवांडा की राजधानी किगाली में होटल मैनेजर पॉल ने सैकड़ों लोगों को छिपने के लिए शरण दी और अपनी जान जोखिम में डाल कर लोगों की रक्षा की।

1994 के नरसंहार में जातीय  ने 800,000 से अधिक लोगों को मौत के घाट उतार दिया था, इसमें ज्यादातर लोग तुत्सी अल्पसंख्यक थे। पॉल ने अपने नाम और प्रसिद्धि का इस्तेमाल सरकार के खिलाफ आवाज उठाने में किया और कागामे की सरकार को अधिकारों का उल्लंघन करने वाली एक क्रूर सत्ता बताया। रवांडा के राष्ट्रपति पॉल कागामे एक तुत्सी विद्रोही कमांडर थे, जिन्होंने किगाली पर कब्जा करने और नरसंहार को रोकने के बाद सत्ता संभाली थी।

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