नई दिल्ली, २६ नवंबर। गरीब मुल्कों में लोग रोजगार पाने के लिए बेकरार हैं। अक्सर वे अपने बच्चों को नौकरी करने की वैध 15 साल उम्र पाने से पहले ही कमाने के लिए भेजने लगते हैं। लेकिन अब समय बदल गया है। अब महिलाएँ भी पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ने को आतुर हैं। वह अब बीते दिनों की बात हो चुकी है, जब महिलाओं की दुनिया रसोई और घर की चारदीवारी तक सीमित होती थी। महिलाओं के लिए खुले शिक्षा के दरवाजों ने उनके लिए उन्नति की और भी राहें खोली हैं। अब वह न सिर्फ अपने घरों से निकलकर नौकरी कर रही हैं, बल्कि नौकरी दे भी रही हैं। बेन एंड कंपनी की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 1.57 करोड़ आंत्रप्रेन्योर महिलाएं हैं और वो अपना बिजनेस खड़ा करने के साथ-साथ दूसरे लोगों के लिए भी रोजगार पैदा कर रही हैं।
इसमें अहम रोल उन महिलाओं के साथ-साथ ग़ैर सरकारी संस्थाओं का भी है, जो इन महिलाओं को कुशल प्रशिक्षण और नेतृत्व क्षमता का विकास कर उनकों ख़ुद से पहचान करा रही हैं।
मध्य प्रदेश के ताराग्राम की रहने वाली प्रभा भी ग़ैर सरकारी संस्थाओं की कुशल प्रशिक्षण की वजह से आज बुंदेलखंड की महिलाओं के लिए मिसाल बन चुकी है। उसने सभी के लिए दृढ़ संकल्प, दृढ़ता और कड़ी मेहनत की मिसाल पेश की है। समाज में आलोचनाओं के बावजूद उसने अपने लक्ष्यों को कभी नहीं छोड़ा।
वह आजीविका कमाने के लिए शहर में ई-रिक्शा चलाती है, जिसे प्रशिक्षण से लेकर आर्थिक मदद तक डेवलपमेंट अल्टरनेटिव (डीए) द्वारा मुहैया कराई गई। हालाँकि, इसके पीछे स्पेन स्थित फाउंडेशन ला कैक्सा का प्रोग्राम वर्क फ़ॉर प्रोग्रेस है। स्पेन स्थित फाउंडेशन ला कैक्सा, दुनिया भर में सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए विविध सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और पारिस्थितिक पहलों को बढ़ावा देता है। यह फाउंडेशन स्पेन में स्थित एक गैर-लाभकारी बैंकिंग संगठन है, जिसमें पूर्व राजा की छोटी बेटी, स्पेन की राजकुमारी क्रिस्टीना भी शामिल हैं।
हालाँकि, परिवर्तन की इस यात्रा में प्रभा अकेली नहीं थीं। झाँसी में कई महिला किसानों को भी राजकुमारी से आमने-सामने मिलने का अवसर मिला और उन्होंने अपना भाग्य बदलने में समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया। बसंत महिला किसान उत्पादक संगठन की सदस्य महिलाओं ने बुधवार को स्पेन की राजकुमारी क्रिस्टीना के साथ लगभग आधा दिन बिताया।
एक ऐसे देश में जहां कुछ ही ख़ास महिलाओं को घर से बाहर काम करने का अवसर मिलता है, वहाँ वर्क4प्रोग्रेस ने आम महिलाओं को भी महिला उद्यमी बनने का अवसर प्रदान किया। फिर भी, महिला उद्यमियों के लिए सफलता का मार्ग आसान नहीं होता। कुछ के लिए, यह उनके आत्मसम्मान के लिए या फिर समाज में इज़्ज़त के लिए लड़ना पड़ता है। लेकिन प्रभा (ई-रिक्शा मालिक) और लक्ष्मी (बसंत महिला एफपीओ) के लिए यह सफल होने का एक और कारण बन गया।
प्रभा ने एक सवाल के जवाब में कहा, “मुझे पता था कि मेरे पास इस काम के लिए आवश्यक डिग्री या प्रासंगिक अनुभव नहीं हो सकता है, लेकिन मुझे यह भी पूरा यकीन था कि अगर मैं अपने समय और मेहनत से सफलता हासिल कर लूंगी। वर्क4प्रोग्रेस (डब्ल्यू4पी) ने हमारे सपनों को साकार करने में बहुत बड़ा योगदान दिया।”
वर्क4प्रोग्रेस की प्रोजेक्ट मैनेजर मार्ता सोलसोना भी महिलाओं की सफलता को देखकर अभिभूत थीं। मार्ता सोलसोना ने कहा, “इस पहल का मुख्य उद्देश्य महिलाओं नेतृत्व क्षमता पैदा करना और उनमें अपने पैरों पर खड़ा करना है।”
वर्क4प्रोग्रेस (डब्ल्यू4पी), “ला कैक्सा” फाउंडेशन और DA का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जो 2017 से भारत, पेरू और मोज़ाम्बिक में स्थानीय संस्थाओं के साथ मिलकर काम कर रहा है, ताकि माइक्रो-उद्यमियों को सामूहिक बुद्धिमत्ता की शक्ति के माध्यम से गरिमापूर्ण नौकरियां सृजित करने के लिए महिलाओं और युवाओं को सशक्त बनाया जा सके।
फ़िलहाल “ला कैक्सा फ़ाउंडेशन” का डब्ल्यू4पी इंडिया कार्यक्रम भारत के 345 गांवों में चल रहा है।इस प्रोग्राम के तहत पूर्वी उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड के गाँवों में एक्शन एड , डेवलपमेंट अल्टरनेटिव के अलावा स्पेन और स्थानीय एनजीओ साथ मिलकर सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित समुदायों, महिलाओं और युवा वयस्कों के साथ काम कर रहे हैं।
इसके अलावा “ला कैक्सा फ़ाउंडेशन” दुनिया भर के ४० देशों में सक्रिय है, जिसमें मुख्य रूप से लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और एशिया के देश शामिल हैं।
-डॉ. शाहिद सिद्दीक़ी
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