राजनीतिक बाजीगरी को मात देकर विजयी हुए इमरान खान, PTI के वफादारों ने गद्दारों को चटाई धूल

8 फरवरी को हुए आम चुनाव के नतीजों से स्‍पष्‍ट है कि जेल में बंद पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के संस्थापक इमरान खान के वफादारों ने सभी बाधाओं को पार कर लिया है और राजनीतिक बाजीगरी को मात देकर विजयी हुए हैं. यह बात एक मीडिया रिपोर्ट में कही गई.

द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, जहां इमरान के वफादार जीत गए, वहीं उन्हें धोखा देने वालों को देश में शक्तिशाली हलकों का समर्थन मिलने के बावजूद अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा. देशभर में राष्ट्रीय सुरक्षा प्रतिष्ठानों पर 9 मई (2023) को हुए हमलों के बाद पीटीआई सरकार के गुस्से का शिकार थी.

रिपोर्ट में कहा गया है कि इमरान की पार्टी के शीर्ष नेतृत्व और कार्यकर्ताओं को जेल में डालकर उन्हें वफादारी बदलने या राजनीति छोड़ने के लिए मजबूर करके और उनकी गतिविधियों पर मीडिया ब्लैकआउट लगाकर उनकी पार्टी को राजनीतिक क्षेत्र से मिटाने का हर संभव प्रयास किया गया.

इमरान को धोखा देने वालों में प्रमुख खैबर-पख्तूनख्वा के पूर्व मुख्यमंत्री परवेज खट्टक थे, जिन्होंने पीटीआई-सांसद के नाम से एक अलग गुट बना लिया. जहांगीर तरीन, जो कभी खान के बेहद करीबी माने थे, ने भी इस्तेहकाम-ए-पाकिस्तान पार्टी (आईपीपी) नाम से एक पार्टी बना ली. जाहिर तौर पर ऐसा पीटीआई के भगोड़ों को लुभाने के लिए किया गया. हालांकि, चुनावों में आईपीपी को अपमानजनक हार मिली.

जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी द्वारा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों ने बृहस्पतिवार के चुनाव में नेशनल असेंबली में 101 सीट पर जीत हासिल की है. पाकिस्तान चुनाव आयोग द्वारा 265 में से 255 सीटों के घोषित परिणाम के अनुसार पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) ने 73, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने 54 और मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट(एमक्यूएम) ने 17 सीट पर जीत हासिल की है. अन्य सीटों पर छोटे दलों को जीत मिली है.

सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी को नेशनल असेंबली में 265 में से 133 सीट जीतनी होगी. एक उम्मीदवार की मौत के बाद एक सीट पर चुनाव स्थगित कर दिया गया था. कुल मिलाकर, साधारण बहुमत हासिल करने के लिए 336 में से 169 सीट की आवश्यकता है, जिसमें महिलाओं और अल्पसंख्यकों के लिए सुरक्षित सीट भी शामिल हैं.

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