तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने मंगलवार को कहा कि उन्हें यकीन नहीं है कि कथित ‘कैश-फॉर-क्वेरी’ मामले में लोकसभा आचार समिति की रिपोर्ट ‘संसद में रखी जाएगी या नहीं’. एथिक्स कमेटी द्वारा संसद में रिपोर्ट पेश करने के बारे में मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, “देखते हैं, मुझे नहीं पता कि वे इसे रखेंगे या नहीं.”
मोइत्रा पर कथित तौर पर ‘संसदीय सवालों के बदले पैसे’ लेने का आरोप है. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मोइत्रा के खिलाफ भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की शिकायत को एथिक्स कमेटी के पास भेज दिया था. समिति ने 9 नवंबर को मोइत्रा के खिलाफ मसौदा रिपोर्ट को अपनाया और इसे पैनल की सिफारिशों के साथ लोकसभा अध्यक्ष को सौंप दिया.
इससे पहले मोइत्रा 2 नवंबर को समिति के विपक्षी सांसदों के साथ समिति के अध्यक्ष विनोद सोनकर पर उनसे “व्यक्तिगत और अनैतिक” सवाल पूछने का आरोप लगाते हुए बैठक से बाहर चली गईं थीं. आचार समिति भाजपा सांसद दुबे के आरोपों की जांच कर रही है कि मोइत्रा ने व्यवसायी हीरानंदानी के कहने पर लोकसभा में व्यवसायी गौतम अडाणी से जुड़े सवाल पूछने के लिए नकद और लाभ लिया.
दुबे और वकील देहाद्राई ने 26 अक्टूबर को मोइत्रा के खिलाफ पैनल को “मौखिक साक्ष्य” दिए. समिति के छह सदस्यों ने रिपोर्ट के पक्ष में मतदान किया था. इनमें कांग्रेस से निलंबित पार्टी सांसद परणीत कौर भी शामिल थीं. समिति के चार विपक्षी सदस्यों ने रिपोर्ट पर असहमति नोट दिए थे.
विपक्षी सदस्यों ने रिपोर्ट को ‘फिक्स्ड मैच’ करार देते हुए कहा था कि भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की जिस शिकायत पर समिति ने विचार किया, उसके समर्थन में ‘सबूत का एक टुकड़ा’ भी नहीं था. यदि सदन समिति की सिफारिश के पक्ष में मतदान करता है तो मोइत्रा को सदन से बर्खास्त किया जा सकता है. संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार को शुरू हुआ और घोषित कार्यक्रम के अनुसार यह 22 दिसंबर तक चलेगा.