मध्यप्रदेश में भाजपा जिलाध्यक्षों के नाम लिफाफों में बंद

भोपाल| मध्यप्रदेश में भाजपा के लिए जिलाध्यक्षों के चुनाव में आम सहमति बनाना बहुत चुनौतीपूर्ण रहा है। राज्य में एक भी जिला ऐसा नहीं है, जहां आम सहमति से एक नाम तय हो पाया हो।

यही कारण है कि संभावित दावेदारों के नाम लिफाफों में बंद कर दिए गए हैं। ये लिफाफे एक-दो दिन में खुल सकते हैं। भाजपा ने राज्य में 56 जिलों में जिलाध्यक्ष चुनाव के लिए 30 नवंबर का दिन चुना था। इसके लिए पार्टी के प्रदेश स्तरीय पर्यवेक्षक और निर्वाचन अधिकारी भेजे गए थे। इन सभी को यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी कि यह कोशिश की जाए कि अध्यक्ष का चुनाव आम सहमति से हो। मतदान की नौबत न आए, इस पर जोर दिया जाए। इसी के तहत तमाम निर्वाचन अधिकारियों और पर्यवेक्षकों ने नेताओं और कार्यकर्ताओं से बातचीत कर आम राय बनाने की कोशिश की।

भाजपा सूत्रों के अनुसार, शनिवार को सभी जिलों में अध्यक्ष चुनने के लिए बैठक हुई, लगभग सभी स्थानों पर एक से ज्यादा या यूं कहें कि किसी भी स्थान पर तीन से कम नाम सामने नहीं आए। इसके बावजूद आमसहमति बनाने के प्रयास देर रात तक चले, मगर बात नहीं बनी तो सभी निर्वाचन अधिकारियों और पर्यवेक्षकों ने तीन-तीन नामों का पैनल बनाकर लिफाफे में बंद कर दिया। लिफाफे लेकर निर्वाचन अधिकारी भोपाल पहुंच रहे हैं।

राज्य में भाजपा जिलाध्यक्षों को लेकर निचले स्तर पर सहमति न बनने की वजह है, नेताओं की भीड़। सभी बड़े नेता अपने-अपने जिले में अपनी पसंद का जिलाध्यक्ष चाह रहे हैं। राज्य के प्रमुख नेताओं में वर्तमान प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल, थावरचंद गहलोत, फग्गन सिंह कुलस्ते आदि वे नेता हैं जो अपने-अपने क्षेत्र में अपनी पसंद के नेताओं की जिलाध्यक्ष पद पर ताजपोशी कराना चाह रहे हैं।

राज्य भाजपा में चल रही निर्वाचन प्रक्रिया पर नजर दौड़ाएं तो एक बात साफ हो जाती है कि जिलाध्यक्षों के निर्वाचन से पहले मंडल अध्यक्षों के चुनाव की प्रक्रिया हुई। कई मंडल इकाइयां अभी भी ऐसी हैं जिनके लिए अध्यक्ष के नाम का फैसला नहीं हो पाया है। ऐसा आम सहमति नहीं बनने के कारण हुआ है।

भाजपा की आईटी सेल के प्रदेश संयोजक विकास बांद्रिया का कहना है कि जिलाध्यक्षों के चुनाव को लेकर रायशुमारी हो गई है, आपसी सहमति से नाम तय कर लिए गए हैं, संभावितों के नाम पर चर्चा के बाद जिला निर्वाचन अधिकारी प्रदेश निर्वाचन अधिकारी को नाम सौंपेंगे और उसके बाद एक-दो दिन में अध्यक्षों के नाम का ऐलान हो जाएगा।

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