अबू धाबी के क्राउन प्रिंस शेख खालिद बिन मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान की भारत की आधिकारिक यात्रा ने दोनों देशों के मजबूत होते संबंधों को और ज़्यादा सुदृढ़ किया है। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य ऊर्जा, खाद्य सुरक्षा और निवेश जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को गहरा करना था, जबकि सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया गया।
क्राउन प्रिंस का गर्मजोशी भरा स्वागत
सोमवार को शेख खालिद ने नई दिल्ली के हैदराबाद हाउस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। प्रधानमंत्री ने क्राउन प्रिंस का गले मिलकर स्वागत किया, जिससे दोनों देशों के बीच गर्मजोशी भरे रिश्तों का परिचय मिला। शेख खालिद का यह भारत दौरा बतौर क्राउन प्रिंस उनकी पहली आधिकारिक यात्रा थी। प्रधानमंत्री और क्राउन प्रिंस के बीच बातचीत में ऊर्जा, निवेश, और रणनीतिक सहयोग पर विशेष ध्यान दिया गया।
इसके अलावा, क्राउन प्रिंस ने दिल्ली के राजघाट में महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की, जो भारत की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कूटनीति का हिस्सा है। इसके साथ ही, उन्होंने भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भी मुलाकात की, जो इस दौरे की राजनीतिक और कूटनीतिक अहमियत को दर्शाता है।
प्रमुख समझौते: ऊर्जा और निवेश में साझेदारी
1. दीर्घकालिक LNG आपूर्ति समझौता:अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी (ADNOC) और इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOCL) के बीच एक दीर्घकालिक LNG आपूर्ति समझौता हुआ, जो भारत की ऊर्जा सुरक्षा को सुदृढ़ करेगा। भारत वर्तमान में अपनी गैस जरूरतों का 54% आयात करता है, और यह समझौता उसे आवश्यक ऊर्जा संसाधनों की निर्बाध आपूर्ति प्रदान करेगा।
2. परमाणु ऊर्जा में सहयोग: अबू धाबी की इमिरात्स न्यूक्लियर एनर्जी कंपनी (ENEC) और भारत की न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NPCIL) के बीच बराकाह परमाणु ऊर्जा संयंत्र के संचालन और रखरखाव के लिए एक समझौता हुआ। यह यूएई का पहला परमाणु ऊर्जा संयंत्र है, और इसके माध्यम से दोनों देशों को तकनीकी आदान-प्रदान का लाभ मिलेगा।
3. खाद्य सुरक्षा: भारत के गुजरात सरकार और अबू धाबी डेवलपमेंटल होल्डिंग कंपनी (ADQ) के बीच फूड पार्क्स के विकास के लिए समझौता हुआ। यह परियोजना न केवल भारत के कृषि उत्पादन और प्रसंस्करण को बढ़ावा देगी बल्कि यूएई की खाद्य सुरक्षा में भी योगदान करेगी, जो अपनी खाद्य जरूरतों का लगभग 90% आयात करता है।
पहले के आधिकारिक दौरे: संबंधों की मजबूत नींव
हालाँकि इससे पहले, 2016 और 2017 में यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने भी भारत का दौरा किया था। 2017 में गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि के रूप में उनकी उपस्थिति और 75 बिलियन डॉलर के निवेश कोष की स्थापना दोनों देशों के बीच रणनीतिक संबंधों को नई दिशा देने में सहायक सिद्ध हुई। इसके बाद से दोनों देशों के बीच संबंध लगातार बढ़ रहे हैं, और यह यात्रा उस प्रक्रिया का ही विस्तार है।
दरअसल, लगातार व्यापार और आर्थिक साझेदारी से भारत और यूएई के संबंधों को नई ऊंचाई मिल रही है। 2022-23 में दोनों देशों के बीच कुल व्यापार 85 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, और यह यूएई को भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बनाता है। Comprehensive Economic Partnership Agreement (CEPA) के तहत, दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश में और वृद्धि की संभावना है। यह अनुमान है कि अगले पांच वर्षों में यह व्यापार 100 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।
ऊर्जा और रणनीतिक भंडार: दीर्घकालिक सहयोग
भारत और यूएई ने ऊर्जा के क्षेत्र में अपना सहयोग और मजबूत किया है। ADNOC ने भारत में रणनीतिक तेल भंडार में निवेश किया है, और अब ISPRL और ADNOC के बीच एक नए समझौते के तहत भारत को आपात स्थितियों में अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त तेल भंडार उपलब्ध होगा।
भविष्य की दिशा: स्थायी और सतत विकास
भारत और यूएई के बीच यह यात्रा एक नए रणनीतिक युग की शुरुआत को दर्शाती है। नवीकरणीय ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन, और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे उभरते हुए क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाएं भी प्रबल हो रही हैं। इसके साथ ही, भारत और यूएई ने जलवायु परिवर्तन से निपटने और वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक साझा दृष्टिकोण अपनाने का संकल्प लिया है।
अबू धाबी के क्राउन प्रिंस का ये दौरा भारत-यूएई संबंधों में एक ऐतिहासिक मोड़ है। ऊर्जा, निवेश, और खाद्य सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में हुए समझौतों ने दोनों देशों के बीच आर्थिक और रणनीतिक संबंधों को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। यह साझेदारी न केवल द्विपक्षीय विकास के लिए बल्कि वैश्विक स्थिरता और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए भी अहम है।
––डॉ. शाहिद सिद्दीक़ी; Follow via X @shahidsiddiqui