उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के स्थानांतरण के लिए कॉलेजियम की सिफारिश को मंजूरी देने में केंद्र के रवैये को मनमाफिक तरीके से चयन वाला बताया और कहा कि इससे अच्छा संदेश नहीं जाता. न्यायालय ने कहा कि कॉलेजियम ने जिन 11 न्यायाधीशों के स्थानांतरण की सिफारिश की है, उनमें से पांच का स्थानांतरण कर दिया गया है लेकिन छह के मामले अभी लंबित हैं. इनमें चार गुजरात उच्च न्यायालय से और एक-एक इलाहाबाद तथा दिल्ली उच्च न्यायालय से हैं.
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के लिए हाल में जिन नामों की सिफारिश की गई है, उनमें से आठ को मंजूरी नहीं दी गई है और इनमें से कुछ न्यायाधीश नियुक्त किए गए न्यायाधीशों से वरिष्ठ हैं. शीर्ष न्यायालय के कॉलेजियम में सदस्य न्यायमूर्ति कौल ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमनी से कहा, ‘मेरी जानकारी के अनुसार आपने पांच न्यायाधीशों के तबादले के लिए आदेश जारी किए हैं. छह न्यायाधीशों के लिए आपने आदेश जारी नहीं किया है. इनमें से चार गुजरात के हैं. पिछली बार भी मैंने कहा था कि इससे अच्छा संदेश नहीं जाता.’
दो याचिकाओं पर हुई सुनवाई
न्यायाधीश ने कहा कि यह स्वीकार्य नहीं है. उन्होंने कहा, ‘पिछली बार भी मैंने इस बात पर जोर दिया था कि चुनिंदा तरीके से स्थानांतरण मत कीजिए.’ उन्होंने कहा कि सरकार स्थानांतरण के लिए कॉलेजियम द्वारा भेजे गए नामों के संबंध में मनमाफिक तरीके से चयन की नीति अपना रही है. पीठ दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. इनमें से एक में नियुक्ति और स्थानांतरण के लिए कॉलेजियम की सिफारिश वाले नामों को स्वीकृति देने में केंद्र की ओर से देरी किए जाने का आरोप लगाया गया था.
अगली सुनवाई 5 दिसंबर को
सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि चुनिंदा तरीके से नियुक्ति करने से समस्या पैदा होती है क्योंकि लोगों की वरिष्ठता प्रभावित होती है. पीठ ने कॉलेजियम द्वारा की गईं कुछ पुरानी सिफारिशों का उल्लेख किया और कहा कि इनमें ऐसे नाम हैं जिनके नाम एक या दो बार दोहराए जा चुके हैं. वेंकटरमनी ने कहा कि जहां तक दोहराए गए नामों की बात है तो प्रगति हुई है. उन्होंने पीठ से अनुरोध किया कि एक सप्ताह या 10 दिन के बाद मामले को लिया जाए. शीर्ष अदालत ने मामले में अगली सुनवाई के लिए पांच दिसंबर की तारीख तय की.
जिन मुद्दों को लिया जा रहा है, वे प्रणाली के लिए आवश्यक
पीठ ने सुनवाई के दौरान पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय से संबंधित मुद्दा उठाया और कहा कि दो वरिष्ठ लोगों की नियुक्ति अभी तक नहीं की गई है जिनके नाम की सिफारिश की गई थी. इसने कहा कि अदालत सराहना करने में पीछे नहीं रहती, लेकिन जहां जरूरत होती है, उसे जोर देकर अपनी बात कहनी होती है. पीठ ने कहा कि जिन मुद्दों को लिया जा रहा है, वे प्रणाली के लिए आवश्यक हैं. कॉलेजियम प्रणाली के माध्यम से न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर अकसर उच्चतम न्यायालय और केंद्र सरकार के बीच गतिरोध की स्थिति रही है.