अरुणाचल की नदी में मलबा डाले जाने पर पर्यावरण मंत्रालय, एनएचएआई को नोटिस

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की ईस्टर्न बेंच ने नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) और नेशनल हाईवे एंड इंफ्रास्ट्रक्च र डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएचआईडीसी) को नोटिस जारी किया है।

पूर्वी अरुणाचल प्रदेश में मिट्टी/पहाड़ के पत्थरों/शिलाखंडों को नदी में फेंकना मना है। याचिकाकर्ता राखिनी मिपी ऊपरी दिबांग घाटी में अनिनी की पर्यावरण कार्यकर्ता हैं, उन्होंने निचली दिबांग घाटी और अनिनी में रोइंग को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण के तरीके के संबंध में एनजीटी की पूर्वी पीठ से संपर्क किया था।

एनएचएआई रोइंग को अनिनी से दो खंडों में जोड़ने के लिए काम कर रहा है, रोइंग से हुनली और हुनली से अनिनी तक। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि उसने रोइंग से अनिनी तक 200 किलोमीटर के निर्माण कार्य को अंजाम देते हुए नामित डंपिंग क्षेत्र से पत्थर और मलबा फेंका था।

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था, रोइंग से अनिनी तक सड़क को चौड़ा करते समय एनएचएआई, एनएचआईडीसी और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय पर्यावरण के मानदंडों के विपरीत अनिनी जिले में लोग वन भूमि और नदी पर अपना कचरा और कचरा डंप कर रहे हैं।

मिपी ने अपनी याचिका के साथ कई तस्वीरें और वीडियो जमा किए थे, जिसमें बेतरतीब ढंग से काटने और नदी में बड़े पैमाने पर कीचड़ और पत्थरों के डंपिंग के कारण पहाड़ के चेहरे को व्यापक नुकसान हुआ था।

आवेदक ने वन संरक्षण अधिनियम, 1980 के उल्लंघन में बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई का भी आरोप लगाया था और इसलिए, याचिका मे डीएफओ और अरुणाचल प्रदेश के वन संरक्षक, साथ ही केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को प्रतिवादी बनाया।

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