हाफिज सईद को गिरफ्तारी से पहले मिली जमानत


जमात उद-दावा के सरगना हाफिज सईद और तीन अन्य को लाहौर की आंतक निरोधी अदालत (ATC) ने गिरफ्तारी से राहत दी है। ATC ने हाफिज सईद समेत तीन अन्य लोगों को गिरफ्तारी से पहले ही जमानत को अनुमति दे दी है। डॉन न्यूज के मुताबिक, यह फैसला मदरसे की भूमि को अवैध कार्यों के लिए इस्तेमाल करने के एक मामले में लिया है।

अभी कुछ दिन पहले पंजाब प्रांत में आतंकवाद-निरोधी अदालतों ने टेररिज्म फाइनेंसिंग के आरोपों में प्रतिबंधित जमात-उद-दावा (JuD) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के 12 सदस्यों को पांच साल के कारावास की सजा सुनाई थी। बता दें कि हाफिज सईद की JuD को लश्कर-ए-तैयबा के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। यह मुंबई हमलों का भी जिम्मेदार है। इसे जून 2014 में अमेरिका द्वारा एक विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित किया गया था।

आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने के बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच पाकिस्तान ने हाफिज सईद और उसके 12 सहयोगियों के खिलाफ आतंकी फंडिंग के 23 मामले दर्ज किए थे। पाकिस्तान के आतंकरोधी विभाग ने एक बयान जारी कर बताया था कि आतंकी फंडिंग के लिए पांच ट्रस्टों का इस्तेमाल करने के लिए उनके खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं।

बयान के मुताबिक, लश्कर ए तैयबा से जुड़े जमात उद दावा और फलाह ए इंसानियत फाउंडेशन को भी निशाना बनाया गया है। विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘इन लोगों और संगठनों की सभी संपत्तियों को फ्रीज कर दिया जाएगा और बाद में सरकार इन्हें जब्त कर लेगी।’ विभाग ने बताया कि सरकार की यह कार्रवाई संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों के मुताबिक की गई।

दरअसल, उस समय पाकिस्तान सरकार के इस कदम को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के दबाव का नतीजा माना जा रहा था, जिसने पिछले साल पाकिस्तान को मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी फंडिंग के मामलों में अपर्याप्त कदम उठाने के लिए ‘ग्रे लिस्ट’ में रखा था। पिछले ही महीने उसने आतंकी फंडिंग के खिलाफ प्रयासों को तेज करने के लिए पाकिस्तान को अक्टूबर तक का समय दिया था। एफएटीएफ का कहना था कि अगर तब तक स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो पाकिस्तान को काली सूची में भी डाला जा सकता है। हालांकि, गिरफ्तारी से पहले ही अब सईद को जमानत मिल गई है।

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