सांसदों से सरकारी मकान खाली कराने विधेयक लोकसभा में पारित


सरकारी आवासों से अवैध कब्जाधारियों को खाली कराने के लिए सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत कब्जाधारियों की बेदखली) संशोधन विधेयक-2019 राज्यसभा में मंगलवार को पारित हो गया।

यह विधेयक सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत कब्जाधारियों की बेदखली) अधिनियम-1971 में संशोधन के लिए लाया गया है। इसे आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने पेश किया। विधेयक लोकसभा द्वारा पहले ही पारित किया जा चुका है।

विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए मंत्री पुरी ने कहा कि इस विधेयक में संशोधन बहुत सीमित हैं और यह आवासीय मकानों के सरकारी परिसरों से संबंधित है। उन्होंने बताया कि यह संसद सदस्यों, सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों पर लागू होगा।

विधेयक के अधिनियम की धारा-7 में एक नई उप-धारा (3ए) सम्मिलित करने का प्रस्ताव किया गया है, जिसमें कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति संपत्ति अधिकारी द्वारा निष्कासन के आदेश को किसी भी अदालत में चुनौती देता है तो उसे उसके द्वारा रखे गए आवास का हर महीने हर्जाना देना होगा।

मौजूदा कानून में एक कारण बताओ नोटिस और अपील प्रावधानों को शामिल करते हुए लंबी बेदखली प्रक्रिया है। इसलिए अनधिकृत कब्जा करने वाले को बेदखल करने में कई बार सालों लग जाते हैं।

विधेयक में अनाधिकृत रहने वालों को तीन दिनों के कारण बताओ नोटिस के साथ लाइसेंस के आधार पर दिए गए आवासीय मकानों पर निष्कासन प्रक्रिया लागू करने का प्रस्ताव किया गया है।

इस दौरान सभी दलों के सदस्यों ने विधेयक का समर्थन किया और इसे ध्वनि मत से पारित किया गया।

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