सरकारी मदद की रहा न देख, ग्रामसभा खुद ही कर रही है ग्रामीणों की मदद।

वनअधिकार के तहत प्राप्त जंगल के अधिकार से वन उपज बेचकर प्राप्त किए नफे का इस विपदा में हो रहा सार्थक उपयोग।

गडचिरोली के सुदूर जंगल इलाकों में जहां सरकारी अफसर का पहुंचना मुश्किल है ऐसे में सक्षम ग्राम सभाएं खुद के बूते ग्रामीणों की मदद कर रही है।

जिससे ग्राम सभाओं का भविष्य में प्रभावी रूप से सक्षमीकरण करना सरकार के लिए बहुत बड़ा फायदे का सौदा साबित हो सकता है।
“‘मावा नाटे माटे सरकार” ,”दिल्ली मुंबई मावा सरकार |

इस गोंडी भाषा के श्लोक का अर्थ है ,

“हमारे गांव में हम ही सरकार और दिल्ली, मुंबई में हमारी सरकार” |

इसी ब्रिद वाक्य को लेकर शुरू हुई गढ़चिरौली जिले के ग्राम सभाओं की मुहिम आज इस वाक्य को प्रत्यक्ष रूप में साकार करती नजर आ रही है।

एक और जहां कोरोना महामारी से देश और दुनिया परेशान है, वही खाने पीने की सामान को लेकर हर कोई सरकार या किसी और गैर सरकारी संगठन पर निर्भर है वही घने जंगलों के बीच बसे इन गांव में ग्राम सभाएं खुद के पैसे से परिवारों की मदद कर रही है।

ऐसा ही एक मामला हमें देखने को मिला जहां ग्राम सभा ने उनके पास उपलब्ध मुनाफे के पैसे को ग्रामीणों के मदद के लिए इस्तेमाल किया। यह ग्रामसभा है भिमनपायली, जामुरखेड़ा पंचायत में आने वाले इस गांव में कुल 18 परिवार रहते हैं, जो खेती एवं मजदूरी के ऊपर निर्भर है, इन परिवारों को लॉकडॉउन से काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था।

दैनिक मजदूरी एवं जंगल से प्राप्त होने वाले किसी भी उपज को बाजार तक न पहुंचा पाने के कारण इन पर खाने पीने के सामान खरीदने की परेशानी आन पड़ी थी।

इसी बीच ग्रामीणों की परेशानी को दूर करने के लिए ग्राम सभा ने यह निर्णय लिया के वह सरकारी मदद पर निर्भर न रहते हुए ग्रामीणों को ग्राम सभा के पास उपलब्ध धनराशि से मदद की जाएगी।

निर्णय लेने के बाद इन्होंने स्थानीय प्रशासन से संपर्क किया तथा ग्रामीणों की मदद करने के लिए ग्राम सभा के आगे आने की बात कही प्रशासन की ओर से सहमति मिलते ही ग्रामीणों ने बाजार से जरूरी सामान की खरीद की जिसमें जिसमें 2 महीने तक के राशन और सब्जी का इंतजाम था।

आज जहां एक और सभी लोग सरकार की ओर मदद की गुहार लगाते हैं वही इन सक्षम ग्राम सभा होने के नाते यह कर दिखाया है कि यदि गांव की जल जंगल और जमीन का अधिकार उन्हीं के पास रहता है तो उन्हें इस तरह की विपदा में भी किसी और पर मदद के लिए निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं।

इन गांवों ने एक संदेश यह भी दिया है कि यदि ग्राम सभा पूर्ण रूप से सक्षम रहेगी तो इस तरह से मुसीबत के वक्त किसी और पर निर्भर न रहते हुए खुद की मदद खुद भी कर सकती हैं।

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