मनी ट्रेल के तहत देश भर में अपराधियों पर शिकंजा कस रही ईडी को लेकर इस वक्त काफी हो हल्ला हो रहा है. यह कहा जाता है कि ईडी एक बार अगर किसी को अरेस्ट कर ले तो फिर सालों तक आरोपी को बेल तक नसीब नहीं हो पाती. इसी बीच शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में एक ऐसा मामला सामने आया, जिसमें शख्स ने जज साहब से बोला कि सर मैं तो गवाह हूं. सीबीआई ने भ्रष्टाचार के मामले में मुझे गवाह के तौर पर पेश किया है. फिर ईडी मेरे खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत एक्शन कैसे ले सकती है.
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की वेकेशन ब्रेंच ने इस याचिका पर सुनवाई के दौरान इस शख्स को साफ कर दिया कि केवल इसलिए कि किसी व्यक्ति का नाम किसी अपराध में नहीं लिया गया है तो इसका मतलब यह नहीं है कि उस पर PMLA के तहत मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है. याचिका में सुधीर गुप्ता नामक शख्स ने उनके खिलाफ ईडी के मामले की सूचना रिपोर्ट (ECIR) और उसके बाद के एक्शन को रद्द करने का अनुरोध किया गया. बेंच ने गुप्ता की ओर से अदालत में पेश हुए वकील विजय अग्रवाल से कहा कि ईडी की ईसीआईआर को न तो रद्द किया जा सकता है और न ही उस पर रोक लगाई जा सकती है.